प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का गठन आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए किया गया है। यह भारत सरकार की आर्थिक खुफिया एजेंसी की तरह काम करता है। प्रवर्तन निदेशालय (Directorate General of Economic Enforcement) का गठन 1 मई 1956 को हुआ था और वर्ष 1957 में इसका नाम ईडी पड़ा। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत काम करता है। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है। इसके अलावा ईडी के जोनल कार्यालय मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, कोचीन, अहमदाबाद, बैंगलोर और हैदराबाद में है। इन सभी कार्यालयों में एक उप-निदेशक कार्य करता है।
प्रवर्तन निदेशालय मुख्यतः पांच कानूनों के तहत काम करता है। इनमें धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए), निरस्त विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम और विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी अधिनियम शामिल हैं।
वर्ष 2002 में धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) पारित किया गया और 1 जुलाई 2005 से यह लागू हुआ। पीएमएलए के तहत ईडी धनशोधन में शामिल व्यक्ति की संपत्तियां जब्त या कुर्क कर सकता है। ईडी द्वारा गिरफ्तार शख्स को जमानत मिलने में मुश्किल होती है, क्योंकि शर्ते काफी कडी हैं। जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य हैं।
पीएमएलए के तहत दोषी पाए जाने पर कम से कम तीन वर्ष के कठोर कारावास का प्रावधान है जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। अगर इसके साथ मादक पदार्थों से जुड़ा मामला हो तो सजा 10 साल तक हो सकती है और जुर्माना भी। विदेश में किसी तरह की कोई भी संपत्ति खरीदने पर ईडी उसकी भी जांच करता है।