Explanation : भारत में प्रथम पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 1951 को लागू हुई थी, जबकि इस योजना का अंतिम प्रारूप दिसंबर 1952 में प्रकाशित कियाा गया था। इस योजना के मुख्य उद्देश्य थे–
(1) द्वितीय विश्वयुद्ध तथा देश के विभाजन के फलस्वरूप हुई क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्था का पुनरुत्थान करना,
(2) स्फीतिकारक प्रवृत्तियों को रोकना,
(3) देश की अर्थव्यवस्था को इस प्रकार से सबल बनाना कि भविष्य में द्रुत गति से आर्थिक विकास संभव हो सके, अर्थात् सड़कों का निर्माण करना, परिवहन एवं संचार की सुविधाएं उपलब्ध कराना, सिंचाई एवं जलविद्युत् परियोजनाओं का निर्माण करना आदि,
(4) उत्पादन क्षमता में वृद्धि तथा आर्थिक विषमता को यथासम्भव कम करना,
(5) खाद्यान्न संकट का समाधान करना तथा कच्चे मालों विशेषकर पटसन एवं रुई की स्थिति को सुधारना,
(6) ऐसी प्रशासनिक एवं अन्य संस्थाओं का निर्माण करना, जोकि देश के विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए आवश्यक हों।
प्रथम पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत पांच वर्षों की अवधि में कुल रु. 2378 करोड़ व्यय करने की व्यवस्था की गई थी, किंतु योजनावधि में केवल रु. 1960 करोड़ ही व्यय किए गए। कुल व्यय का 44.6% व्यय सार्वजनिक क्षेत्र के लिए निर्धारित किया गया था। इस योजना में कृषि को उच्चतम प्राथमिकता प्रदान की गई।
इस योजना में प्राप्ति लक्ष्यों से अधिक थी योजना अवधि में राष्ट्रीय आय में वार्षिक वृद्धि की चक्रवृद्धि दर 1993—94 की कीमतों पर 3.6% (लक्ष्य 2.1%) थी, जबकि प्रतिव्यक्ति आय में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा वृद्धिमान पूंजी उत्पाद अनुपात (ICOR) 2.95 : 1 रहा। पूंजी निवेश की दर राष्ट्रीय आय के 5% से बढ़ाकर 7% करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
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