पौष पूर्णिमा 2023 में 6 जनवरी दिन शुक्रवार को है। इसे शाकम्भरी पूर्णिमा भी कहते हैं। स्नान-दान, लक्ष्मी-नारायण पूजा, हवन आदि के लिए पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्त्व है। पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण रहते हैं। इस दिन चंद्र देव की उनकी 27 पत्नियों रोहिणी, कृतिका आदि के साथ पूजा होती है। इन्हें ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र भी कहा जाता है। मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर और मीन लग्नवालों को इनकी पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन चावल, गुड़, तिल, चीनी, घी, कंबल, गर्म वस्त्र, जूता आदि का दान करना शुभ माना जाता है।
इसी दिन आदिशक्ति ने शाकम्भरी देवी के रूप में अवतार लिया था। शाकम्भरी माता वनस्पति की देवी हैं। इनका पूजन पौष शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर पौष पूर्णिमा तक होता है। इसके संबंध में एक कथा है। एक बार पृथ्वी पर काफी समय से वर्षा नहीं हुई। यह देख ऋषियों ने मां से प्रार्थना की, तब शाकम्भरी के रूप में माता ने अपने शरीर से उत्पन्न हुए शाकों के द्वारा ही समस्त संसार का भरण-पोषण किया था। श्रीदुर्गासप्तशती के एकादश अध्याय और अथ ‘मूर्तिरहस्यम’ में इस बात का उल्लेख है कि देवी की अंगभूता छह देवियां—नंदा, रक्तदंतिका, शाकम्भरी, दुर्गा, भीमा और भ्रामरी हैं। शाकम्भरी अवतार में इन्होंने ‘दुर्गम’ नाम के महादैत्य का वध किया था। इस अवसर पर गणेश, विष्णु-लक्ष्मी के समक्ष घी का दीया जलाना शुभ होता है। शाम को घरों, मंदिरों, पीपल, तुलसी के पौधों के पास दीप जलाएं।
पौष पूर्णिमा कब है?
पौष पूर्णिमा 2023 : 6 जनवरी 2023, शुक्रवार
पौष पूर्णिमा 2024 : 25 जनवरी 2024, बृहस्पतिवार
पौष पूर्णिमा 2025 : 13 जनवरी 2025, सोमवार
पौष पूर्णिमा 2026 : 3 जनवरी 2026, शनिवार
पौष पूर्णिमा 2027 : 22 जनवरी 2027, शुक्रवार
पौष पूर्णिमा 2028 : 12 जनवरी 2028, बुधवार
पौष पूर्णिमा 2028 : 31 दिसंबर 2028, रविवार
पौष पूर्णिमा 2030 : 19 जनवरी 2030, शनिवार
पौष पूर्णिमा 2031 : 8 जनवरी 2031, बुधवार
पौष पूर्णिमा 2032 : 27 जनवरी 2032, मंगलवार
पौष पूर्णिमा 2033 : 15 जनवरी 2033, शनिवार
पौष पूर्णिमा 2034 : 4 जनवरी 2034, बुधवार
....अगला सवाल पढ़े