पार्श्वनाथ की शिक्षाएं संगृहीत रूप से जानी जाती है?

(A) त्रिरत्न नाम से
(B) पंच महाव्रत नाम से
(C) पंचशील नाम से
(D) चातुर्याम नाम से

Question Asked : [UPPCS (Pre) Opt. History 2006]

Answer : चातुर्याम नाम से

पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे। उन्होंने भिक्षुओं के लिए केवल 4 व्रतों का विधान किया था - अहिंसा, सत्य, अस्तेय तथा अपरिग्रह। बाद में 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसमें एक पांचवां व्रत ब्रह्राचर्य भी जोड़ दिया तथा उसका पालन करना अनिवार्य बताया। जैन धर्म में 'त्रिरत्न' के अंतर्गत (1) सम्यक् दर्शन, (2) सम्यक् ज्ञान, तथा (3) सम्यक् चरित्र को रखा गया है तथा इन्हें मोक्ष के लिए तीन आवश्यक साधन बताया गया है। पंच महाव्रत में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह तथा ब्रह्राचर्य हैं।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी प्राचीन काल भारत मध्यकालीन भारत
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Web Title : Parshwanath Ki Shikshiyan Sangrahit Roop Se Jani Jati Hai