(A) 1526 ई. में बाबर एवं इब्राहिम लोदी के बीच (B) 1761 ई. में मराठों और अहमदशाह अब्दाली के बीच
(C) 1556 ई. में बैरम ख़ाँ और हेमू के बीच
(D) 1761 ई. में मराठों और इब्राहिम लोदी के बीच
Answer :1761 ई. में मराठों और अहमदशाह अब्दाली के बीच
Explanation : पानीपत का तीसरा युद्ध 1761 ई. में मराठों और अहमदशाह अब्दाली के बीच लड़ा गया। दो माह से अधिक समय तक दोनों सेनाएं एक दूसरे के आमने-सामने डटी रहीं और उनके बीच छोटी मोटी झड़पें होती रहीं। इसी दौरान अब्दाली ने मराठा सेना का रसद मार्ग रोक दिया। इससे मराठे चितिंत हो गए। मराठों का अनजा समाप्त होने पर आ गया। पशुओं के लिए चारा न रहा। अब उनकी सेना में बेचैनी फैल गई। इस समय मराठों के पास आक्रमण करने के अतिरिक्त और कोई रास्ता न रहा। 15 जनवरी, 1761 ई. को सदाशिवराव भाऊ ने अब्दाली की सेना पर आक्रमण कर दिया। युद्ध मात्र चार घंटे चला, सबसे पहले विश्वास राव मारे गए। इसके बाद तो मराठा नेताओं के हताहत होने की झड़ी सी लग गई। जांकोजी सिंधिया, तुकोजी सिंधिया, इब्राहीम खां गार्दी आदि सभी मारे गए और महादजी सिंधिया बुरी तरह घायल हो गए और मराठे हार गए।
संपूर्ण महाराष्ट्र में ऐसा कोई घर नहीं था जिसमें मातम न मनाया गया हो। उनके लोग भूखे-प्यासे मर गए। इस समय जाट राजा सूरजमल ने मराठों की काफी सहायता की, जिसके फलस्वरूप पचास हजार मराठों की जान बच सकी। इस युद्ध में मराठे संख्या में कम थे, जबकि अफगानों की संख्या अधिक थी। अफगान लगभग एक लाख चालीस हजार थे, जबकि मराठा सेना में मात्र साठ हजार सैनिक थे। इसके अतिरिक्त अब्दाली के पास उन्नत किस्म की तोपें और बंदूकें थीं। इस युद्ध में मराठों की हार का एक कारण यह भी था कि राजपूत और जाट मराठों की तरफ से नहीं लड़े और मूकदर्शक बने रहे। उन्होंने शुजा-उद्-दौला और नजीबउद्दौला को दबाने का कोई प्रयास नहीं किया। अब्दाली की सेना में आधे से अधिक भारतीय सैनिक थे। मराठों की हार से अंग्रेजों को यह लाभ हुआ कि उन्हें अपना ब्रिटिश साम्राज्य विस्तार करने का अवसर मिल गया।
इसका परिणाम यह हुआ कि (1) मराठों को धन-जन की अपार क्षति हुई और उनको अपने योग्यतम नेताओं से हाथ धोना पड़ा। इससे संपूर्ण मराठा राज्य हिल गया। (2) अब्दाली मराठों और जाटों से संधि करने में असफल रहा जिस कारण वह सिखों को परास्त न कर सका। (3) अंग्रेजों को साम्राज्य विस्तार करने का अवसर मिला। (4) पेशवा बालाजी बाजीराव पानीपत की हार बर्दास्त न कर सके और जून 1761 ई. में मर गए।....अगला सवाल पढ़े
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