पैंगोलिन (Pangolin) के शरीर पर केराटिन के बने शल्क होते हैं, जिससे यह अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करता है। विश्व भर में पैंगोलिन की सात प्रजातियां पाई जाती है। इसके डायनासोर का वंशज माना जाता हैं, इसको डायनासोर का वंशज माना जाता हैं, क्योंकि इसकी हड्डियों का आकार और बनावट डायनासोर से मिलती है। यह जीव आकार में छोटा होता है। इस जीव के दांत नहीं होते हैं, जिस कारण यह अपनी जिह्रवा से शिकार करता है। इसकी जिह्रवा चींटीखोरों की तरह होती है, जिससे यह चींटी व दीमक खाने में सक्षम है और यही इसका मुख्य आहार भी है। भारत में यह जीव सिवनी, मंडला, अमरकंटक और कटनी के जंगलों में पाया जाता है। इसे भारत में सल्लू सांप भी कहते हैं। लगातार शिकार के चलते और जंगलों के कटने की वजह से इसका दिखना दुर्लभ सा हो गया है। इस वजह से पैंगोलिन की सभी जातियां अब संकटग्रस्त मानी जाती है।