Explanation : पके पेड़ पर पका पपीता में अनुप्रास अलंकार है। जिस अलंकार में किसी शब्द की आवृत्ति बार-बार होती है और जिस रचना में व्यंजनों की बार-बार आवृत्ति के कारण चमत्कार पैदा हो। उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं। आवृत्ति का अर्थ है दुहराना जैसे–'पके पेड़ पर पका पपीता पिंकू पकड़े पका पपीता।” उपर्युक्त उदाहरणों में ‘पका’ वर्ण की लगातार आवृत्ति है, इस कारण से इसमें अनुप्रास अलंकार की छटा है।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण
तोलाराम ताला तोल के तेल में तल गया,
तला हुआ तोला तेल के तले तेल में तला गया।
चंदू के चाचा ने चंदू की चाची को, चांदनी चौक में,
चांदनी रात में, चांदी की चम्मच से चटनी चटाई।
खिड़कियों के खड़कने से खड़ता है खड़कसिंह
खड़कसिंह के खड़कने से खड़कती हैं खिड़कियां
समझ समझ के समझ को समझो,
समझ समझना भी एक समझ है।
समझ समझ के जो ना समझे,
मेरी समझ में वो नासमझ है।
लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल।
लाली देखन मैं गई मैं भी हो गई लाल।।
इस तरह जब किसी पंक्ति में एक ही वर्ण की बार-बार आवृति हो, तब उससे उत्पन्न होने वाले काव्य-चमत्कार को अनुप्रास अलंकार कहते है।
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