(A) प्रकट हो जाने वाले काम को छिप-छिप कर करना, किसी निन्दित किन्तु बड़े कार्य को गुप्त रीति से करने की चेष्ट करना
(B) जहां व्यवसाय न चल सके, वहां रहकर करना मूर्खता है/संबंध विहीन होना
(C) उधार देने में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती
(D) धनी व्यक्ति के छोटे से भी कष्ट में बहुत लोग सहायता के लिए आ जाते हैं