Explanation : नीतिशतक के लेखक भर्तृहरि है। भर्तृहरि शतकत्रय के प्रणेता कहे जाते हैं। ये तीन शतक हैं– श्रृंगारशतक, नीतिशतक और वैराग्यशतक। भर्तृहरि वाक्यपदीय के भी रचयिता माने जाते हैं। संभवत: वैराग्यशतक इनमें कवि की अंतिम रचना है। श्रृंगारशतक की कुल छंद संख्या 103, नीतिशतक की संख्या 101 है और वैराग्यशतक में 111 श्लोक हैं। भर्तृहरि के तीनों शतक मुक्तक काव्य जगत में अनुपम हैं। इन तीनों शतकों में वैराग्य शतक इनकी सर्वोत्तम कृति है, जिसमें सांसरिक सुखों की अस्थिरता तथा मानवीय जीवन की दु:खमयता का प्रभावोत्पादक चित्रण हैं। श्रृंगारशतक भर्तृहरि के यौवनोल्लास का उद्गार है इसमें श्रृंगार का उद्दाम-विलास वर्णन है। नीतिशतक तो व्यावहारिक उपदेशों का भंडार ही है। इसमें अडित पद्य इतने मार्मिक, यथार्थ और अनुभूति—प्रधान हैं कि वे तत्काल ह्रदयड्म होकर अध्येताओं को कल्याण पथ पर प्रवृत्त करने की प्रेरणा देते हैं। विषय-वर्णन के अनुसार नीतिशतक में 11 पद्धतियां हैं– 1. ब्रह्रा की स्तुति, 2. मूर्ख-निंदा, 3. विद्वत्पद्धति, 4. मान शौर्य-पद्धति, 5. अर्थ-पद्धति, 6. दुर्जन-पद्धति, 7. सृजन-पद्धति, 8. परोपकार-पद्धति, 9. धैर्य-पद्धति, 10. दैव-प्रशंसा और 11. कर्म-पद्धति।....अगला सवाल पढ़े
ज्ञानवर्धक व उत्तम कार्य !! एक श्लोक जो माता-पिता के शिशु पालन से सम्बंधित है जिसका अर्थ है कि पाँच वर्ष तक बच्चे से बहुत प्यार करें, पांच से दस वर्ष तक खूब डांटे और दस वर्ष की आयु के बाद मित्रवत व्यवहार करें पढ़ा था वह श्लोक किस लेखक का है? और किस पद्धति में आता है? क्या वह उपलब्ध हो सकता है ?
Explanation : हिरण (Hiran) को संस्कृत में कुरंग: कहते हैं। वही हिरन का बच्चा को संस्कृत में हरिणकः कहते है। हिरण का पर्यायवाची शब्द हैं – मृग, कुरंग, हिरन, सारंग, हिरण, कृष्णसार। संस्कृत (Sanskrit) विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। इसी से आधुनिक ...Read More
Explanation : नमस्ते (Namaste) को संस्कृत में नमस्कार: कहते हैं। संस्कृत शब्द नमस् सदैव प्रामति, अभिवादन, प्रणाम, पूजा में प्रयुक्त होता है। नमस्कार पुल्लिंग शब्द है। नमस्कार के समानार्थी शब्द अभिवादन, प्रणाम, सलाम, वंदना आदि है। संस्कृत (Sans ...Read More
Explanation : दुकान (Dukan) को संस्कृत में आपणः कहते हैं। मंडी को भी आपणः कहा जाता है। आपणः (आणप्+घञ्) पुल्लिंग शब्द है। जबकि व्यापारी, सौदागर, दुकानदार को संस्कृत में विपणिन् कहते है। यह भी पुल्लिंग शब्द है। संस्कृत (Sanskrit) विश्व की सबसे ...Read More
Explanation : आलू को संस्कृत में आलुकम् कहते है। संस्कृत में सब्जियों के नाम अधिकतर TGT, PGT, UGC, TET आदि परीक्षाओं में अधिकतर पूछे जाते है। Vegitables Name in Sanskrit के अंतर्गत संस्कृत में सब्जियों के नाम भी अकसर गूगल पर सर्च किये ...Read More
Explanation : आलू (Aaloo) को संस्कृत में आलुकम् कहते हैं। जबकि आलू की टिकिया को पक्कालुः कहते है। संस्कृत (Sanskrit) विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। इसी से आधुनिक भारतीय भाषाएँ हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली आदि उत्पन्न हुई हैं। भा ...Read More
Explanation : फल (Phal) को संस्कृत में फलम् कहते हैं। इसी तरह फलागम के फल प्राप्ति और फलोच्चय के फलों का ढ़ेर कहते है। संस्कृत (Sanskrit) विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। इसी से आधुनिक भारतीय भाषाएँ हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली आदि उत्पन ...Read More
Explanation : विश्व संस्कृत दिवस रक्षा बंधन यानि श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। भारत सरकार ने रक्षा बंधन यानि कि श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन विश्व संस्कृत दिवस (World Samskrit Day) के रूप में मनाये जाने की घोषणा 1969 में की थी। ...Read More
Explanation : स्त्रीणां माद्यं प्रणय वचनं विभ्रमो हि प्रियेषु का भावार्थ– स्त्रियों का प्रिय के प्रति विलास प्रारम्भिक प्रार्थना वाक्य होता है। मेघ के प्रति निर्विन्ध्या द्वारा दिखाये गये विभ्रम के संदर्भ में। ...Read More
Explanation : ते हि नो दिवसा गता: का भावार्थ– हमारे वे दिन बीत गये। (अनुष्टुप् छंद) वाक्य प्रयोग– 'ते हि नो दिवसा गता:' और यह सूक्ति मुँह से निकलते ही उन्हें उस दिन की याद आ आई, जब नए कमिश्नर साहब के आने के बाद वे अपने गुरु पंडित जी के साथ उन् ...Read More
कादम्बरी बाणभट्ट की रचना है। बाण के नाम से दो गद्या काव्य सर्वप्रसिद्ध है एक हैं–हर्षचरित और दूसरा कादम्बरी। बाण की तीसरी कृति चण्डीशतक है जो एक गीतिकाव्य है। बाण ने दो काव्य-नाटक भी लिखे हैं, जिनमें एक का नाम है पार्वतीपरिणय और दूसरे का नाम है मुक ...Read More
ज्ञानवर्धक व उत्तम कार्य !!
एक श्लोक जो माता-पिता के शिशु पालन से सम्बंधित है जिसका अर्थ है कि पाँच वर्ष तक बच्चे से बहुत प्यार करें, पांच से दस वर्ष तक खूब डांटे और दस वर्ष की आयु के बाद मित्रवत व्यवहार करें पढ़ा था वह श्लोक किस लेखक का है? और किस पद्धति में आता है? क्या वह उपलब्ध हो सकता है ?