नील विद्रोह क्या है?

(A) नील की खेती के लिए बाध्य करना
(B) नये करों के विरूद्ध संघर्ष
(C) अंग्रेजी अत्याचार ​के विरूद्ध संघर्ष
(D) चावल की खेती के विरुद्ध

Answer : नील की खेती के लिए बाध्य करना

नील विद्रोह अंग्रेजों के शोषण के विरुद्ध किसानों की सीधी लड़ाई थी। बंगाल के किसान अपनी उपजाऊ भूमि पर चावल उगाना चाहते थे, जिसकी उन्हें अच्छी कीमत मिलती थीं, किंतु यूरोपीय नील उत्पादक (बगान मालिक) उन्हें नील की अलाभकारी खेती के लिए बाध्य करते थे। ददनी प्रथा के अंतर्गत किसानों को मामली अग्रिम रकम देकर करारनामा लिया जाता था, जो बाजार भाव से काफी कम होता था। अदालतें भी यूरोपीय नील उत्पादकों का ही पक्ष लेती थी। नील आंदोलनों की शुरुआत सितंबर 1859 में बंगाल के नदिया जिले में स्थित गोविन्दपुर गांव से हुई थी। इस आंदोलन के नेता दिगम्बर विश्वास और विष्णु विश्वास थे। इनके नेतृत्व में वहां के किसानों ने एकजुट होकर नील की खेती बंद कर दी। जिसके फलस्वरूप 30 मार्च, 1860 को नील आयोग की नियुक्ति की गई, जिसके सुझाव पर यह अधिसूचना जारी की गई कि किसी भी रैयत को नील की खेती के लिए विवश नहीं किया जाएगा और सारे विवादों का निपटारा कानूनी ढंग से ही होगा। यह आंदोलन भारत में बुद्धिजीवियों का सहयोग पाने वाला पहला आंदोलन था। हिंदू पैट्रियाट के संपादक हरिश्चंद्र मुखर्जी ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। नील बागान मालिकों के अत्याचार का विवरण दीनबंधु मित्र ने अपने नाटक नील दपर्ण में किया। भारतीय किसानों का यह पहला सफल विद्रोह था।
Tags : आधुनिक इतिहास इतिहास प्रश्नोत्तरी
Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
करेंट अफेयर्स 2023 और नवीनतम जीके अपडेट के लिए GK Prashn Uttar YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें
Related Questions
Web Title : Neel Vidroh Kya Hai