नैनो तकनीक के जरिए कृषि, पशुपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण में चमत्कारिक परिवर्तन आएगा, इस तकनीक के जरिए पराजीनी फसलें या ट्रांसजेनिक क्रॉप्स तैयार की जा सकेंगी, अभी तक एक प्रजाति की दोअच्छी किस्मों से बेहतरीन जीन निकाल कर उम्दा किस्म तैयार की जाती हैं, लेकिन नैनो तकनीक ने इन सभी को चमत्कारिक रूप से कर दिखाया है, इस तकनीक के जरिए वनस्पति जगत् में जन्तु जगत् की घुसपैठ को सम्भव कर दिखाया है, इसके द्वारा मनचाहे स्वाद, रंग, सुगंध एवं पौष्टिकता से भरपूर फसलों की प्रजातियों को तैयार किया जा सकेगा, यही नहीं, पौधों में पोषक तत्व, खाद-पानी की कमी एवं रोग-बीमारियों को खुद व खुद बया करेंगे, फसलों को खरपतवारों के आक्रमण से बचाना हो, या फिर मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जाँच-पड़ताल करनी हो, सब कुछ इस तकनीक से सम्भव हो चला है, नैनो तकनीक से पशुओं में मन चाही विशेष नस्ल एवं उम्दा गुणों के पशुओं को तैयार करना सम्भव हुआ है, प्रकृति जो करिश्मा हजारों लाखो साल में करती थी, वह जेनेटिक इंजीनियरी के जरिए पलक झपकते ही सम्भव हो चला है, पराजीनी फसलों के उत्पादन में चीन नम्बर एक पर है, अभी पराजीनी फसलों में सोयाबीन, मक्का, कपास और केनोल का प्रमुख स्थान है।