मुर्गी को तकवे का घाव भी बहुत है का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) जाति स्वभाव नहीं छूटता। जातीय संस्कार जीवन भर रहते हैं
(B) अपराधी सदैव सशंकित रहता है
(C) कमजोर व्यक्ति थोड़ा सा कष्ट भी नहीं सह सकता
(D) दो दलों को लड़ाने का प्रयत्न

Answer : कमजोर व्यक्ति थोड़ा सा कष्ट भी नहीं सह सकता

Explanation : मुर्गी को तकवे का घाव भी बहुत है का अर्थ murgi ko takave ka ghav bhi bahut hai है 'कमजोर व्यक्ति थोड़ा सा कष्ट भी नहीं सह सकता।' हिंदी लोकोक्ति मुर्गी को तकवे का घाव भी बहुत है का वाक्य में प्रयोग होगा – जगदीश इतना निर्धन है कि उस बेचारे से होली का चन्दा मांगना भी उसके कष्ट को बढ़ाना होगा। मुर्गी को तकवे का घाव भी बहुत है कहावत यहां अक्षरस: चरितार्थ है।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'मुर्गी को तकवे का घाव भी बहुत है' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Murgi Ko Takave Ka Ghav Bhi Bahut Hai