1. मोती कैसे बनती है?
मोती सीपी के अंदर पायी जाती है यह सफेद, चमकदार वस्तु है जो बहुत ही कीमती होती है। मोती का निर्माण घोंघे के द्वारा होता है। जब बालू का कण इसके अंदर जाता है तो घोंघा इस कण सीप के पदार्थ की परत चढ़ाये चला जाते है। यह परत कैल्शियम कार्बोनेट की होती है। कुछ समय बाद यही परत सीप के अंदर मोती बन जाती है। इसी को सच्चा मोती कहा जाता है। यह आवश्यक नहीं है कि मोती सफेद ही हो। यह काला, गुलाबी, बैंगनी भी हो सकता है। मनुष्य ने कृत्रिम तरीके से भी मोती बनाना सीख लिया हे। इसी को ही मोती कल्चर कहते हैं। जापान में यह तकनीकी काफी प्रचलित है, व कृत्रिम मोतियों का यह सबसे बड़ा निर्यातक है।
2. सर्दी के मौसम की सुबह में पत्तों पर ओस जमी होती है क्यों?
सर्दी की सुबह में तापमान काफी न्यून होता है, जिसके कारण से तापमान से उपस्थित जलवाष्प संघनित हो जाते हैं। ऐसे में ओस उन तत्वों पर आसानी से बन जाती है जो ऊष्मा के अच्छे विकिरक होते है व पृथ्वी की सतह के निकटतम संपर्क में होते हैं, पॉलिश की हुई धातुओं की तुलना में घास और पत्ते बेहतर विकिरक होते है। इसी कारण से ओस की बुंदें पत्तों पर दिखाई देती हैं, पत्तों पर ओस की बूंदों के होने का एक और कारण स्वयं पत्तों से जलवाष्प का निकलना है।
3. एक अवतल दर्पण का एक ‘शेविंग ग्लास’ के रूप में कैसे प्रयोग किया जा सकता है?
चेहरे के सामने अवतल दर्पण (फोकस और दर्पण ध्रुव के बीच) रखने से चेहरे के सूक्ष्म छिद्रों को भी देखा जा सकता है।
4. कोई गेद भूमि से टकराने के बाद तेजी से ऊपर क्यों उछलती है?
जब कोई गेंद भूमि पर गिरती है तो दबाव के कारण यह थोड़े से विकृत रूप में आ जाती है। अपने लचीलेपन के कारण यह भूमि पर गिरती है और फिर वास्तविक स्वरूप में आती है। इस दौरान गति के तीसरे सिद्धांत के अनुसार यह उतने ही वेग से ऊपर उछलती है।