‘मेघदूतम्’ में ‘दिड्नाग’ क्या है?

(A) मीमांसक
(B) नैयायिक
(C) बौद्ध
(D) वेदांती

Question Asked : [TGT Exam 2009]

Answer : बौद्ध

'मेघदूतम्' में दिड्नाग का तात्पर्य 'बौद्ध' से है। महाकवि कालिदास प्रणीत 'मेघदूतम्' के पूर्वमेघ के 14वें श्लोक में वर्णित है कि 'दिड्नागानां पथि परिहरन् स्थूलहस्तावलेपान्' प्रस्तुत सूक्ति में आचार्य मल्लिनाथ ने इससे 'दिड्नाग' नाम आचार्य से अर्थ लिया है जिसको कालिदास का विरोधी बताया गया है — परंतु यहां स्पष्ट नहीं है कि यहांं किस दिड्नाग की ओर संकेत हैं, क्यों​कि दिड्नाग नाम के कई आचार्य हुए हैं। एक तो 'प्रमाणसमुच्चय' नामक प्रसिद्ध ग्रंथ के लेखक बौद्ध दिड्नाग है, परंतु ये कालिदास के विरोधी थे, इस कथन में कोई प्रामाणिकता नहीं हैं। कालिदास का समय लगभग विक्रम की प्रथम शताब्दी सिद्ध हो चुका है। इस स्थिति में जबकि दोनों के समय में इतना अंतर है, एक दूसरे के विरोधी कैसे हो सकते हैं? प्रो. मैकडोनल ने भी इस कथन को अत्यधिक संदेहास्पद बताया है। फिर भी दिड्नागनाम् इस प्रकार कालिदास द्वारा बहुवचनान्त प्रयोग भी युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता है।
Tags : संस्कृत संस्कृत प्रश्नोत्तरी
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