Explanation : मध्यप्रदेश में उष्णकटिबंधीय प्रकार के वन पाए जाते हैं। यह तीन प्रकार के होते हैं–ऊष्ण-कटिबंधीय पर्णपती वन, ऊष्ण-कटिबंधीय अर्द्ध पर्णपाती वन और ऊष्ण-कटिबंधीय शुष्क वन। वन क्षेत्र की विशालता की दृष्टि से मध्य प्रदेश बहुत समृद्ध राज्य है। वनों का शत-प्रतिशत राष्ट्रीयकरण करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला एवं अकेला राज्य है। मध्य प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 30.72% भू-भाग वनों से आच्छादित है। प्रदेश में 77522 वर्ग कि.मी. क्षेत्र वनों से ढका हुआ है।
1. उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन– ये वन 50 से 100 सेंमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में जल के अभाव के कारण वृक्ष अपनी पत्तियां गिरा देते हैं। इन वनों में उत्तम इमारती लकड़ी पाई जाती है। सागौन, शीशम, नीम, पीपल आदि वृक्ष इन वनों की विशेषता है। ये वन सागर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, छतरपुर, पन्ना, बैतूल, सिवनी और होशंगाबाद जिलों में पाए जाते हैं।
2. उष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध पर्णपाती वन– ये वन 100 से 150 सेंमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन वनों में बीजा, धौरा, कसाई, तिन्सा, जामुन, महुआ, सेजा, हर्रा आदि के वृक्ष मिलते हैं, लेकिन साल, सागौन, बांस आदि के वृक्षों की बहुलता होती है। ये वन राज्य के शहडोल, मंडला, बालाघाट और सीधी जिलों में पाए जाते हैं।
3. उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन– ये वन 25 सेंमी. से 75 सेंमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में मिले हैं। इन वनों में बबूल, कीकर, हर्रा, पलाश, तेन्दू, धौरा, शीशम, हल्दू, सागौन, सिरिस आदि के वृक्ष पाए जाते हैं। ये वन श्योपुर, रतलाम, मंदसौर, दतिया, टीकमगढ़, ग्वालियर, खरगौन आदि जिलों में मिलते हैं।
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