जॉन वॉकर (John Walker) नाम के व्यक्ति ने 27 नवंबर, 1826 को माचिस का आविष्कार किया था, जो घर्षण से जल सकती थी। अपनी खोज को जॉन वॉकर ने ‘एक्सीडेंटल इन्वेंशन’ का नाम दिया था। दरअसल, अपनी प्रयोगशाला में कार्य करने के दौरान जॉन ने पाया कि लकड़ी की एक छड़ी के एक हिस्से पर रसायन जम गया था। जब उन्होंने छड़ी पर जमे हुए रसायन को रगड़ा तो उसमें से आग उत्पन्न होने लगी। जॉन को विचार आया कि रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इसका उपयोग हो सकता है। इस तरह घर्षण से जलने वाली माचिस का आविष्कार हुआ। उस समय जॉन ने अपनी खोज को ‘कांग्रेव्स’ नाम दिया था। यह नाम उन्होंने सर विलियम कांग्रेव के नाम पर रखा था। सर विलियम ने युद्ध में इस्तेमाल होने वाले रॉकेट का आविष्कार किया था। बाद में मैच बॉक्स को ‘लूसिफर मैच’ के नाम से तक कोई भी उस छोटी सी डब्बी ‘फिलुमेनिस्ट’ शब्द पहली बार 1943 भी जाना जाने लगा। सन 1830 को ‘माचिस’ नहीं कहता था।
‘माचिस’ शब्द का इस्तेमाल पहले मोमबत्ती की बत्ती या गंधक में डूबी हुई रस्सी के टुकड़े के लिए किया जाता था, जिसका इस्तेमाल मोमबत्ती या दीपक को जलाने के लिए किया जाता था। सन 1889 में जोशुआ पुसे नाम के व्यक्ति ने ‘बुक माचिस’ का आविष्कार किया था। माचिस की डिब्बी के ढक्कनों के संग्राहक के लिए में दर्ज किया गया था। दुनिया भर में हर साल लगभग आधा ट्रिलियन मैचों का उपयोग किया जाता है। सिगरेट लाइटर का आविष्कार 1816 में हुआ था, यानी माचिस के आविष्कार से बहुत पहले। आपको बता दे कि माचिस की तीली में लाल फास्फोरस होता है, जो तीली की सतह में होता है और तीली के ऊपर पोटेशियम क्लोरेट होता है। माचिस की तीली के मसाला में एंटीमनी सल्फाइड, सल्फर, पोटेशियम क्लोरेट जैसे रसायन मौजूद होते हैं।