खोंडा डोरा विद्रोह क्या है?

(A) स्वयं को अवतार घोषित करना
(B) नरबलि प्रथा पर रोक लगाना
(C) भूमि कब्जों को रोकना
(D) अंग्रेजों के अत्याचार रोकना

Answer : स्वयं को अवतार घोषित करना

खोंडा डोरा विद्रोह वर्ष 1900 में विशाखापट्टनम के डाबर क्षेत्र की खोंडा-डोरा जनजाति द्वारा किया गया था। इस विद्रोह का नेतृत्व कोर्रामलैया ने किया था। उन्होंने अपने आपको पांडवों तथा अपने बेटे को कृष्ण का अवतार घोषित किया था। अंग्रेज सरकार ने बर्बर सैनिक कार्यवाही के द्वारा विद्रोह को दबा दिया। बतादें किे औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों ने भारत में अपने साम्राज्य विस्तार के क्रम में जमींदारों, कृषकों एवं आदिवासियों को उनकी जमीनों तथा क्षेत्रों से बेदखल किया, जिससे इन समुदायों में ब्रिटिश राज के प्रति तीव्र असन्तोष फैला, जिसके परिणामस्वरूप अंग्रेजी राज्य की स्थापना के साथ ही विद्रोहों की तीव्रता भी बढ़ी। समय समय पर देश के विभिन्न जनजातीय एवं किसान विद्रोह हुए। इसी क्रम में यह खोंडा डोरा विद्रोह हुआ था।
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