Explanation : 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों या खदानों में लगाना अपराध है। किसी भी खदान या फैक्ट्री में 14 साल से कम आयु के बच्चे को नियोजित नहीं किया जा सकता। बाल श्रम संशोधन अधिनियम 2017 में अब केवल तीन क्षेत्रों को ही खतरनाक बताया गया जहाँ किशोर बच्चे काम नहीं कर सकते। यह हैं खनन, ज्वलनशील पदार्थ और खतरनाक प्रक्रियाएं। राज्य सरकारों द्वारा 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाती है। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 द्वारा लागू किया गया है।
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Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
Explanation : गुरुपाद स्वामी समिति की सिफारिशों के आधार पर 1986 में बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम लागू किया गया। यह अधिनियम, खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है। बाद में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्व ...Read More
Explanation : ई-संवाद पोर्टल महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विकसित किया, इस पोर्टल के माध्यम से एनजीओ और सिविल सोसाइटी अपने सुझाव, शिकायत व प्रतिक्रिया दे सकते हैं। ...Read More
Explanation : नंद घर योजना के तहत बच्चों एवं महिलाओं को बेहतर पोषाहार व प्राथमिक शिक्षा देने के लिए स्थापित आंगनबाड़ी केंद्रों को नया लुक दिया गया। इस योजना की शुरूआत हरियाणा के सोनीपत जिले से हुई। ...Read More
Explanation : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1989 में बाल अधिकार अभिसमय (Convention on the rights of child-CRC) को अपनी स्वीकृति प्रदान की थी। यह अभिसमय सन् 1990 में लागू किया गया तथा 11 दिसंबर, 1992 में भारत ने इसे आत्मसमर्पित कर लिया। ...Read More
Explanation : प्रगतिशील शिक्षा पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के विकल्प के रूप में उभरकर आई है। इसका एकमात्र उद्देश्य व्यक्तिगत विभिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए बच्चों का समग्र विकास करना है। प्रगतिशील शिक्षा पद्धति को विकसित करने का श्रेय प्रसिद्ध ...Read More
Explanation : मूल्यांकन वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा अधिगम परिस्थितियों तथा सीखने के अनुभवों के लिए प्रयुक्त की जाने वाली समस्त विधियों और प्रविधियों की उपादेयता की जाँच की जाती है। अत: मूल्यांकन पद्धतियों का प्रमुख लक्ष्य विद्यार्थियों की जर ...Read More
Explanation : किसी अधिगमकर्ता की अधिगम हेतु सर्वोत्तम अवस्था संतुलित उत्तेजना एवं कोई भय नहीं (भयमुक्त) होना है। शैशवावस्था में अनुकरण एवं दोहराने की तीव्र प्रवृत्ति बच्चों में पाई जाती है। इसी काल में बच्चों का समाजीकरण भी प्रारम्भ हो जाता है ...Read More
Explanation : बच्चों को सीखने में तब कठिनाई होती है जब किसी सूचना को अलग-अलग टुकड़ों में प्रस्तुत की जाए। बच्चों का अधिगम हेतु आंतरिक रूप से अभिप्रेरित होना, अधिगम सामाजिक संदर्भ में होना एवं विषय वस्तु को बहुरूपों में प्रस्तुत किया जाना आदि ब ...Read More
Explanation : अभिप्रेरणा वह शक्ति है, जो किसी व्यक्ति को निश्चित उद्देश्य तक पहुँचने हेतु प्रोत्साहित करती है तथा उसे तब तक क्रियाशील रखती है, जब तक कि व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति न कर ले। गुड के अनुसार, 'क्रिया को उत्तेजित करने, नियंत्रित ...Read More
Explanation : सृजनात्मकता की पहचान का प्रमुख लक्षण अपसारी चिंतन, रचनात्मक विचार, मौलिक चिन्तन, दृढ़ भावनात्मकता आदि है। सृजनात्मकता से आशय मौलिक चिंतन, नवीन संगठन, व्यवहार, समस्याओं का नवीन ढंग से समाधान एवं जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में नवीन ...Read More
Web Title : Kitne Varsh Se Kam Aayu Ke Bachon Ko Karkhano Ka Khadano Mein Lagana Apradh Hai