कौन-सा प्राचीन भारत में व्यापारियों का निगम था?

(A) चतुर्वेदीमंगलम
(B) परिषद्
(C) अष्टदिग्गज
(D) मणिग्राम

Question Asked : IAS (Pre) Opt. History 1997

Answer : मणिग्राम

Explanation : प्राचीन भारत में व्यापारियों का निगम मणिग्राम था। आंतरिक व्यापार के साथ-साथ दक्षिण भारत का बाह्रा व्यापार भी काफी विकसित हुआ। द. भारत में व्यापारियों के निगम होते थे। व्यापारियों के स्थानीय संगठनों की संज्ञा 'नगरम्' थी। इस प्रकार के संगठन कांची तथा मामल्लपुरम् में विद्यमान थे। व्यापारिक संगठन राजनीतिक गतिविधियों से उदासीन होकर अपना सारा समय व्यापार में ही लगाते थे। लेखों से हमें ज्ञात होता है कि मणिग्रामम्, नानादेशिस, बलंजियार, इंदमै, तेलिन आदि व्यापारिक संगठन थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण 'नानादेशिस' नामक संगठन था जिसे अय्यवोलोपुर के पांच सौ स्वामियों के नाम से जाना जाता था। तुलुब वंश के शासक कृष्ण देवराय के दरबार में 'अष्टदिग्गज' का तात्पर्य आठ कवियों के समुच्चय से था। ये सभी तेलगू कवि थे। अष्ट ​कवियों में प्रमुख हैं - अल्लसीन पेड्डना, तेनालीराम, धूर्जटि, भादयगीर, मल्लन, अचुलजराय आदि। अल्लासीन पेड्डना को तेलगू कविता का पितामह कहा जाता था। इनकी रचना थी - मनुचरितम्। तेनालीराम हास्व कवि थे। इनकी रचना पांडुरंग महात्म्य है।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Kaun Sa Prachin Bharat Mein Vyapariyon Ka Nigam Tha