कमरी ओढ़ने से कोई फकीर नहीं होता का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) आदतें पक्की होती हैं, बदलती नहीं
(B) एक से बढ़कर दूसरा
(C) ऊपरी दिखावा से दोष नहीं छिपतें
(D) साझे का काम फजीहत का काम

Answer : ऊपरी दिखावा से दोष नहीं छिपतें

Explanation : कमरी ओढ़ने से कोई फकीर नहीं होता का अर्थ kamari odhane se koi fakir nahi hota है 'ऊपरी दिखावा से दोष नहीं छिपतें।' हिंदी लोकोक्ति कमरी ओढ़ने से कोई फकीर नहीं होता का वाक्य में प्रयोग होगा – ढोंगी व्यक्ति कितना भी अपना वेष और रूप बदले लेकिन उसकी असलियत छिप नहीं पाती। इसीलिए कहावत है 'कमरी ओढ़ने से कोई फकीर नहीं होता'। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'कमरी ओढ़ने से कोई फकीर नहीं होता' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Kamari Odhane Se Koi Fakir Nahi Hota