शुकनासोपदेश प्रश्नोत्तरी – कादम्बरी संस्कृत साहित्य का महान उपन्यास है। इसके रचनाकार वाणभट्ट हैं। शुकनासोपदेश कादम्बरी का ही एक अंश है। यह एक ऐसा उपदेशात्मक ग्रंथ है जिसमें जीवन दर्शन का एक भी पक्ष बाणभट्ट की दृष्टि से ओझल नहीं हो सका। इसी शुकनासोपदेश पर आधारित यहां 20 प्रश्नों की प्रश्नोत्तरी आपने तैयारी को जांचने के लिए दी जा रही है।
1. पुरुषों के लिए समग्र मलों को धोने में समर्थ बिना जल का स्नान है :
2. 'रजनिकरगभस्तय:' में 'गभस्तय: पद का अर्थ है :
3. 'गन्धर्वनगरलेखेव पश्यत एवं नश्यति' यह कथन किसके लिए कहा गया है?
4. 'दुष्टा, पिशाची, अनार्या, दुराचारिणी' आदि पदों का प्रयोग बाण ने किसके लिए किया है?
5. 'राहुजिह्वा धर्मेन्दुमण्डलस्य' यहां 'राहुजिह्वा' पद प्रयुक्त है :
6. 'अमृतसहोदरापि कटुविपाका' कौन है?
7. महाकवि मयूरभट्ट की बहन से विवाह किसका हुआ था?
8. 'अपरिणामोपशम:' का सन्छिविच्छेद क्या होगा?
9. सरस्वमी द्वारा अपनाये गए व्यक्ति को ईर्ष्या के कारण कौन नहीं अपनाती?
10. 'आधुनिक बाण' के रूप में किसको जाना जाता है?
11. चंद्रापीड पिता के बुलाने पर आता है :
12. चंद्रापीड का राज्याभिषेक करने की इच्छा किसे हुई?
13. शुकनास के अनुसार शास्त्रजलप्रक्षालित बुद्धि भी कब कालुष्य को प्राप्त होती है?
14. कादम्बरी कथा का उत्तरार्द्धभाग किसकी रचना है?
15. 'न परिचयं रक्षति। नाभिजनमीक्षते। न रूपमा-लोकयते। न कुलक्रममनुवर्तते।' ये पंक्तियां कादम्बरी में किस प्रसड़्ग में आयी हैं?
16. यह सारा काव्यजगत् किस कवि का उच्छिष्ट माना जाता है :
17. 'वाणी बाणो बभूव' इति कथनं कस्य अस्ति :
18. 'बाण: कवीनामिह चक्रवर्ती' यह किसका कथन है?
19. 'कुलीरा: इव तिर्य्यक् परिभ्रमन्ति' यहां 'कुलीर' पद का अर्थ क्या है?
20. पुरुषों में स्थित समस्त दोषों को गुणरूप में परिणत कर देते हैं :
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