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जेकर पुरखा न देखल पोय, तेकर घर खुरबन्दी होय का अर्थ और वाक्य प्रयोग
April 28, 2020
(A) जिसके बाप-दादा ने कोई छोटा काम भी न किया हो, उसके घर में बड़े काम होने लगना
(B) भूख लगने पर कोई भी चीज अच्छी लगती है
(C) जरूरत पकड़ने पर सपनों की याद आती है
(D) खाली पेट कुछ नहीं किया जा सकता
Answer :जिसके बाप-दादा ने कोई छोटा काम भी न किया हो, उसके घर में बड़े काम होने लगना
Explanation : जेकर पुरखा न देखल पोय, तेकर घर खुरबन्दी होय का अर्थ jekar purkha na dekhal poy tekar ghar khurbandi hoy है 'जिसके बाप-दादा ने कोई छोटा काम भी न किया हो, उसके घर में बड़े काम होने लगना।' हिंदी लोकोक्ति जेकर पुरखा न देखल पोय, तेकर घर खुरबन्दी होय का वाक्य में प्रयोग होगा – वर्तमान गतिविधियों से जो लोग नहीं परिचित हैं, उनको ही इस बात से आश्चर्य होता है कि जिनके परिवार में कभी विद्या का प्रवेश नहीं हुआ था, वे आज विद्या प्राप्त कर रहे हैं। जेकर पुरखा न देखल पोय तेकर घर खुरबन्दी होय लोकोक्ति इन्हीं घटनाओं से चरितार्थ होती है। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'जेकर पुरखा न देखल पोय, तेकर घर खुरबन्दी होय' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।....अगला सवाल पढ़े
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Web Title : Jekar Purkha Na Dekhal Poy Tekar Ghar Khurbandi Hoy