जैन धर्म में ‘सल्लेखना’ से तात्पर्य है?

(A) लेखन पद्धति
(B) उपवास द्वारा प्राण-त्याग
(C) तीर्थंकरों की जीवनी
(D) ​भित्ति चित्र

Question Asked : [UPPCS (Pre) Opt. History 2006]

Answer : उपवास द्वारा प्राण-त्याग

जैन धर्म में 'सल्लेखना' (संथारा) से तात्पर्य उपवास द्वारा प्राणत्याग से हैं। मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन हो गया था। उससे शासन काल के अंत में मगध में 12 वर्षों का अकाल पड़ा। अकाल की स्थिति से निपटने में असफल होकर चंद्रगुप्त मौर्य अपने पुत्र के पक्ष में सिंहासन त्याग कर भद्रबाहु के साथ श्रवण बेलगोरा (मैसूर) में तपस्या करने चला गया। इसी स्थान पर उसने सल्लेखना विधि से अपने प्राण त्यागे।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी प्राचीन काल भारत मध्यकालीन भारत
Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Jain Dharm Mein Sallekhana Se Tatparya Hai