भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 88 के अनुसार,
किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्पत्ति से सद्भभावर्पूक किया गया कार्य जिससे मृत्यु कारित करने का आशय नहीं है — कोई बात, जो मृत्यु कारित करने के आशय से न की गयी हो, किसी ऐसी अपहानि के कारण अपराध नहीं है जो उस बात से किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके फायदे के लिए वह बात सद्भभावनपूर्वक की जाए और जिसने उस अपहानि को सहाने, या उस अपहानि की जोखिम उठाने के लिए चाहे अभिव्यक्त, चाहे विवक्षित सम्पत्ति दे दी हो, कारित हो या कारित करने का कर्ता का आशय हो या कारित होने की सम्भाव्यता कर्ता को ज्ञात है।