भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 67 के अनुसार,
जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दंडनीय हो — यदि अपराध केवल जुर्माने से दंडनीय हो तो वह कारावास, जिसे न्यायालय जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए अधिरोपित करे, सादा होगा और वह अवधि, जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निदेश दे, निम्न मापमान से अधिक नहीं होगी, अर्थात्—
जबकि जुर्माने का परिमाण पचास रुपए से अधिक न हो तब दो मास से अनधिक कोई अवधि,
तथा जबकि जुर्माने का परिमाण एक सौ रुपए से अधिक न हो तब चार मास से अनधिक कोई अवधि,
तथा किसी अन्य दशा में छह मास से अनधिक कोई अवधि।