भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 497 के अनुसार,
जारकर्म – जो कोई ऐसे व्यक्ति के साथ, जो कि किसी अन्य पुरुष की पत्नी है, और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है, उस पुरुष की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना ऐसा मैथुन करेगा, जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता, वह जारकर्म के अपराध का दोषी होगा, और दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा। ऐसे मामले में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दंडनीय नहीं होगी।
According to Section 497 of the Indian Penal Code 1860,
Adultery — Whoever has sexual intercourse with a person who is and whom he knows or has reason to believe to be the wife of another man, without the consent or connivance of that man, such sexual intercourse not amounting 10 the offence of rape, is guilty of the offence of adultery, and shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, or with fine, or with both. In such case the wife shall not be punishable as an abettor.