आईपीसी की धारा 419 क्या है- IPC Section 419 in Hindi
What is Section 419 of Indian Penal Code, 1860
February 22, 2019
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 419 के अनुसार, प्रतिरूपण द्वारा छल के लिये दंड – जो कोई प्रतिरूपण द्वारा छल करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जायेगा।
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'मामल्ल शैली' (640-674 ई.) : इस शैली का विकास नरसिंहवर्मन प्रथम महामल्ल के काल में हुआ। इसके अंतर्गत दो प्रकार के स्मारक बने हैं, मंडप तथा एकाश्मक मंदिर, जिन्हें रथ कहा गया है। इस शैली के सभी स्मारक मामल्लपुरम (महाबलिपुरम) में विद्यमान हैं। यहां मुख्य पर्वत पर दस मंडप बनाए गए हैं। इनमें आदिवाराह मंडप, महिषमर्दिनी मंडप, पंचपांडव मंडप, रामानुज मंडप आदि प्रमुख हैं। स्तंभों को मंडपों में अलंकृत ढंग से नियोजित किया गया है। मंडपों में महिषमर्दिनी, अनंतशायी विष्णु, त्रिविक्रम, ब्रह्मा, गजलक्ष्मी, हरिहर ...read more
नवीनतम सामान्य ज्ञान 2019 PDF : सभी एकदिवसीय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थापना गठन एवं मुख्यालय संबंधी सामान्य ज्ञान की सूची नीचे दी गई है। जीके के सवाल कई तरह से पूछे जाते है सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई थी या सर्वोच्च न्यायालय का गठन कब हुआ था? इसका उत्तर एक ही है 26 जनवरी, 1950। इसमें भ्रम न पैदा हो इसलिए हमने यहां उसी रूप में प्रश्न दिये है। इसके अध्ययन मात्र से ही आप अपने 2 से 5 नंबर हर परीक्षा में पक्के कर सकते है।
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नीति आयोग की स्थापना ...read more
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 354 ख के अनुसार,
विवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग — ऐसा कोई पुरुष, जो किसी स्त्री को किसी सार्वजनिक स्थान में विवस्त्र करने या निर्वस्त्र होने के लिए बाध्य करने के आशय से उस पर हमला करेगा या उसके प्रति आपराधिक बल का प्रयोग करेगा या ऐसे कृत्य का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
According ...read more
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 86 के अनुसार,
किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है — उन दशाओं में, जहाँ कि कोई किया गया कार्य अपराध नहीं होता जब तक कि वह किसी विशिष्ट ज्ञान या आशय से न किया गया हो, कोई व्यक्ति जो वह कार्य मत्तता की हालत में करता है, इस प्रकार बरते जाने के दायित्व के अधीन होगा मानो उसे वही ज्ञान था जो उसे होता यदि वह मत्तता में न होता जब तक कि वह चीज, जिससे उसे मत्तता हुई थी, उसे उसके ज्ञान के बिना या उसकी इच्छा के वि ...read more