भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 325 के अनुसार,
स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने के लिए दंड – उस दशा के सिवाय, जिसके लिये धारा 335 मे उपबंध है, जो कोई स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।