भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 304 के अनुसार,
हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानववध के लिये दंड – जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नही आता है, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गयी है, मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु होना सम्भाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाए, तो वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
अथवा यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, कारित करने के किसी आशय के बिना किया जाये, तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
According to Section 304 of the Indian Penal Code 1860,
‘Punishment for culpable homicide not amounting to murder — Whoever commits culpable homicide not amounting to murder, shall be punished with imprisonment for life, or imprisonment of either description for a term which may extend to tea-years, and shall also be liable to fine, if the act by which the death is caused is done with intention of causing death, or of causing such bodily injury as is likely to cause death;
or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, or with fine, or with both, if the act is done with the knowledge that it is likely to cause death, but without any intention to cause death, or to cause such bodily injury as is likely to cause death.