भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 294 क के अनुसार,
लाटरी कार्यालय रखना – जो कोई ऐसी कोई लाटरी, जो न तो राज्य लाटरी हो, और न तत्संबंधित राज्य-सरकार द्वारा प्राधिकृत लाटरी हो, निकालने के प्रयोजन के लिये कोई कार्यालय या स्थान रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से, दंडित किया जाएगा;
तथा जो कोई ऐसी लाटरी में किसी टिकट, लाट, संख्यांक या आकृति को निकालने से संबंधित या लागू होने वाली किसी घटना या परिस्थिति पर किसी व्यक्ति के फायदे के लिए किसी राशि को देने की, या किसी माल के परिदान की, या किसी बात को करने की, या किसी बात से प्रविरत रहने की कोई प्रस्थापना प्रकाशित करेगा, वह जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य संशोधन – उत्तर प्रदेश राज्य में लागू होने के लिए धारा 294-क का लोप किया जायेगा। [1995 का उ. प्र. अधि. संख्या 24, धारा 11]