भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 27 के अनुसार,
‘पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति’ — जबकि सम्पत्ति किसी व्यक्ति के निमित्त उस व्यक्ति की पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में है, तब वह इस संहिता के अर्थ में अन्तर्गत उस व्यक्ति के कब्जे में है।
स्पष्टीकरण—लिपिक या सेवक के नाते अस्थायी रूप से या किसी विशिष्ट अवसर पर नियोजित व्यक्ति इस धारा के अर्थ के अंतर्गत लिपिक या सेवक है।