भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 250 के अनुसार,
ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है – जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुये, जिसके बारे में धारा 246 या 248 में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जिसके बारे में उस समय, जब यह सिक्का उसके कब्जे में आया था, वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा, या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिये उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
According to Section 250 of the Indian Penal Code 1860,
Delivery of coin, possessed with knowledge that it is altered — Whoever, having coin in his possession with respect to which the offence defined in Section 246 or 248 has been committed, and having known at the time when he became possessed of such coin that such offence had been committed with respect to it, fraudulently or with intent that fraud may be committed, delivers such coin to any other person, or attempts to induce any other person to receive the same, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, and shall also be liable to fine.