भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153 (क) के अनुसार,
धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का सम्प्रवर्तन और सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना – (1) जो कोई –
(क) बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषायी या प्रादेशिक समूहों, जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द अथवा शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएँ, धर्म, मूलवंश, जन्म–स्थान, निवास–स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी भी आधार पर संप्रवतित करेगा या संप्रवर्तित करने का प्रयत्न करेगा, अथवा
(ख) कोई ऐसा कार्य करेगा, जो विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूहों या जातियों या समुदायों के बीच सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है और जो लोक–प्रशान्ति में विघ्न डालता है या जिससे उसमें विघ्न पड़ना सम्भाव्य हो, अथवा
(ग) कोई ऐसा अभ्यास, आंदोलन, कवायद या अन्य वैसा ही क्रियाकलाप इस आशय से संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे या यह सम्भाव्य जानते हुये संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विररुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे, या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जांएंगे अथवा ऐसे क्रियाकलाप में इस आशय से भाग लेगा कि किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए भाग लेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे और ऐसे क्रियाकलाप से ऐसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्यों के बीच, चाहे किसी भी कारण से, भय सा संत्रास या असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है या उत्पन्न होनी सम्भाव्य है,
वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
पूजा के स्थान आदि में किया गया अपराध – (2) जो कोई उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अपराध किसी पूजा के स्थान में या किसी जमाव में, जो धार्मिक पूजा या धार्मिक कर्म करने में लगा हुआ हो, करेगा, वह कारावास से, जो पांच वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी, दंडनीय होगा।
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153 (कक.) के अनुसार,
किसी जुलूस में जानबूझकर आयुध ले जाने या किसी सामूहिक ड्रिल या सामूहिक प्रशिक्षण का आयुध सहित संचालन या आयोजन करना या उसमें भाग लेना – जो कोई किसी सार्वजनिक स्थान में, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144क के अधीन जारी की गयी किसी लोक सूचना या किये गये किसी आदेश के उल्लघंन में किसी जुलूस में जानबूझकर आयुध ले जाता है या सामूहिक ड्रिल या सामूहिक प्रशिक्षण या आयुध सहित जानबूझकर संचालन या अयोजन करता है या उसमें भाग लेता तो वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी और जुर्माने, जो दो हजार रुपये तक का हो सकेगा, दंडित किया जायेगा।
स्पष्टीकरण – ‘आयुध’ से अपराध या सुरक्षा के लिए हथियार के रूप में डिजाइन की गयी या अपनायी गयी किसी भी प्रकार की कोई वस्तु अभिप्रेत है और इसके अतर्गत अग्नि शस्त्र, नुकीली धार वाले हथियार, लाठी, डंडा और छड़ी भी है।
According to Section 153-A of the Indian Penal Code 1860,
Promoting enmity between different groups on grounds of religion, race, place of birth, residence language, etc, and doing acts prejudicial to maintenance of harmony — (1) Whoever—
(a) by words, either spoken or written, or by signs or by visible representations or otherwise, promotes or attempts to promote, on grounds of religion, race, place of birth, residence, language, caste or community or any other ground whatsoever, disharmony or feelings of enmity, hatred or ill-will between different religious, racial, language or regional groups or castes or communities, or
(b) commits any act which is prejudicial to the maintenance of harmony between different religious, racial, language or regional groups or castes or communities, and which disturbs or is likely to disturb the public tranquility, or
(c) organizes any exercise, movement, drill or other similar activity intending that the participants in such activity shall use or be trained to use criminal force or violence or knowing it to be likely that the participants in such activity will use or be trained to use criminal force or violence, or participates in such activity intending to use or be trained to use criminal force or violence or knowing it to be likely that the participants in such activity will use or be trained to use criminal force or violence, against any religious, racial, language or regional group or caste or community and such activity for any reason whatsoever causes or is likely to cause fear or alarm or a’ feeling of insecurity amongst members of such religious, racial, language or regional group or caste or community, shall be punished with imprisonment which may extend to three years, or with fine, or with both.
Offence committed in place of worship etc — (2) Whoever commits an offence specified in sub-section (1) in any place of worship or any assembly engaged in that performance of religious worship or religious ceremonies, shall be punished with imprisonment which may extend to five years and shall also be liable to fine.