होलिका दहन साल 2022 में 17 मार्च (गुरुवार) को है। हिंदू मान्यता के अनुसार दैत्यराज हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अलावा किसी की पूजा नहीं करता था। यह देख हिरण्यकश्यप काफी क्रोधित हुआ और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग से कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद आग से बच गया, जबकि होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। उस दिन फाल्गुन मास की पुर्णिमा थी। इसी घटना की याद में होलिका दहन करने का विधान है। बाद में भगवान विष्णु ने लोगों को अत्याचार से निजात दिलाने के लिए नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया।
इसके अलावा होली के त्यौहार पर कई प्राचीन जानकारी भी है। प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में मिले 16वीं शताब्दी के एक चित्र में होली पर्व का उल्लेख मिलता है। इतना ही नहीं, विंध्य पर्वतों के निकट रामगढ़ में मिले ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना राक्षसी का वध किया था। इस खुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।
होलिका दहन कब है?
होलिका दहन मार्च 17, 2022, गुरुवार
होलिका दहन मार्च 7, 2023, मंगलवार
होलिका दहन मार्च 24, 2024, रविवार
होलिका दहन मार्च 13, 2025, गुरुवार
होलिका दहन मार्च 3, 2026, मंगलवार
होलिका दहन मार्च 21, 2027, रविवार
होलिका दहन मार्च 10, 2028, शुक्रवार
होलिका दहन फरवरी 28, 2029, बुधवार
होलिका दहन मार्च 19, 2030, मंगलवार
होलिका दहन मार्च 8, 2031, शनिवार
होलिका दहन मार्च 26, 2032, शुक्रवार
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