होली (Holi) हमारे देश का प्रसिद्ध त्योहार है। यह प्रत्येक वर्ष फाल्गुन के महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। प्रत्येक हिन्दू इस त्योहार के आने की प्रतीक्षा करता है। पुराणों में एक कथा है कि इस दिन भक्त प्रहलाद की बुआ होलिका अपने भाई के आदेशानुसार प्रहलाद को गोदी में लेकर आग में बैठ गई। इसी खुशी में हिन्दू लोग इस दिन को होली के रूप में मनाते हैं।
फाल्गुन आने से पूर्व माघ मास की बसन्त पंचमी से ही इस त्योहार का श्रीगणेश हो जाता है। बसन्त पंचमी के दिन किसी सार्वजनिक स्थल, चौराहे पर होली के लिए बच्चे ईंधन, लकड़ी, उपले आदि एकत्र करना शुरु कर देते हैं। होली के दिन तक यह बहुत बड़े ढेर (होली) के रूप में बदल जाता है। कुछ प्रमुख व्यक्ति शुभ मुहूर्त में होली को आग लगाते हैं। सभी व्यक्ति आनन्द से जौ की बालियाँ भुनकर अपने मित्रों, संबधियों में बाँट-बाँटकर खाते हैं और गले मिलते हैं।
अगले दिन प्रात: से ही मस्ती का वातावरण बन जाता है। छोटे-बड़े बच्चे, जवान, बूढ़े, नर-नारी सभी में रंग-गुलाल, पिचकारी के लिए एक-दूसरे को रंग में रंग देने की होड़ लग जाती है। इस त्योहार पर कोई छोटा-बड़ा नहीं रहता। सभी गले मिलते हैं और प्रेम का व्यवहार करते हैं। इस त्योहार पर बहुत से व्यक्ति रंग-गुलाल की जगह गंदगी फेंक देते हैं, जो कि अच्छा नहीं है। हमें इन बुराइयों को दूर करना चाहिए। दोपहर बाद सभी नहा-धोकर एक स्थान पर या एक-दूसरे के घर जाकर मिलते हैं और आपस में मिल-बैठकर खाते पीते हैं। वास्तव में होली मित्रता, प्रेम मिलन एवं सद्भभावना का त्योहार है।
होली 2019
होलिका दहन मुहूर्त – 20:57 से 00:28
भद्रा पूंछ – 17:23 से 18:24
भद्रा मुख – 18:24 से 20:07
रंगवाली होली – 21 मार्च
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 10:44 (20 मार्च)
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 07:12 (21 मार्च)