हिरण के सींग हड्डी से बने होते हैं। यह स्थायी नहीं होते हैं। ये केवल हड्डी के ठोस टिशु होते हैं जिनका शाखाओं वाला ढाँचा होता है। जो हर साल गिरते और नए निकलते रहते हैं। हिरण के सींग प्रजननकाल के दौरान गिर जाते हैं और फिर से उगने की प्रक्रिया प्रारंभ होने लगती है। सही आकार के सींग बनने में आठ महीने लगते हैं। सींग पर खाल या मखमल समूचे वर्षभर उसकी रक्षा करता है। पतझड़ में धूप के कम होने से पशुओं में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम हो जाता है इसलिए सींग की रक्त आपूर्ति रुक जाती है और मखमल सूखने लगता है तथा नर्म हो जाता है जिसके कारण सींग गिर जाता है। हिरण छोटे पौधों पर अपने सींग को रगड़कर अपने इलाके की सीमा निर्धारित कर देते हैं।
अपने जन्म के दूसरे वर्ष में ही नर हिरण के सींग विकसित होने लगते हैं। जिसके बाद युवा मादाओं के हरम में चले जाते हैं और अपने सींग के आकार से मादाओं को आकर्षित करते हैं। प्रजनन की ऋतु के दौरान वह इन्हीं सींगों से अपने हरम की रक्षा करते हैं।हिरण के सींगों का आकार शक्ति, पोषण तथा रोशनी पर निर्भर करता है न कि उनकी आयु पर। अगर पर्याप्त मात्रा में वह हरे पौधे, बेरी, अनाज तथा जंगली वनस्पति खाये तो वह काफी बड़े हो सकते है। इन्हीं सींगों के लिए मनुष्य आजकल उनका शिकार कर रहे है जिसका उपयोग वह अनुष्ठानों, सजावट तथा 'दवा' के लिए करते हैं।....अगला सवाल पढ़े
Explanation : कोशिका का शक्तिगृह यानि पावर हाउस माइटोकांड्रिया (Mitochondrion) को कहते हैं। इसकी खोज वर्ष 1886 में अल्टमैन ने की थी, लेकिन बेंडा ने इसका नामकरण किया। यह कोशिका का श्वसन स्थल है इनकी संख्या कोशिका में निश्चित नहीं होती है। यहाँ ...Read More
Explanation : मोर सर्वोच्च उपभोक्ता है। कुछ खाद्य श्रंखला में मोर चतुर्थ उपभोक्ता होता है। जैसे, केंचुआ → मेंढक → सर्प → मोर शीर्ष उपभोक्ता होते हैं जो द्वितीयक या तृतीयक उपभोक्ताओं को खाते हैं किन्तु इन्हें कोई नहीं खाता है, जैसे शेर, बा ...Read More
Explanation : ऑप्टोमेट्रिस्ट (Optometrist) को हिंदी में दृष्टि विशेषज्ञ यानि आंखों का डाक्टर कहते हैं। ऑप्टोमेट्रिस्ट आंखों से संबंधित समस्याओं की पहचान कर उसका उपचार द्वारा निदान करता है। एक ऑप्टोमेट्रिस्ट ऑप्टोमेट्री का डॉक्टर (ओडी) होता है, ...Read More
Explanation : पित्ताशय में मौजूद पथरी वसा का पाचन प्रभावित करती है। क्योंकि पित्ताशय से स्रावित होने वाला पित्त रस वसा के पाचन में सहायक होता है। गॉल ब्लैडर यानी पित्ताशय की थैली की पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका है। यह लिवर से आने वाले बाइल (पाचक ...Read More
Explanation : वनस्पति विज्ञान का जनक थिओफ्रेस्टस (Theophrastus) को कहा जाता है। इनका जन्म ईसा पूर्व 372 में, लेज़बासॅ (Lesbos) द्वीप के एरेसस (Eresus) नामक नगर में हुआ था तथा मृत्यु ईसा पूर्व 287 में हुई। इन्हें पौधों के क्षेत्र में विशिष्ट यो ...Read More
Explanation : हरे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए प्रयुक्त गैस एथिलीन या एसिटीलीन है। वैश्विक स्तर पर पकाने की क्रिया एथिलीन जेनरेटर द्वारा प्राप्त एथिलीन द्वारा की जाती है जो कि महंगी विधि है। इसलिए सस्ते पदार्थ जैसे, कैल्शियम कार्बाइड, ई ...Read More
Explanation : विटामिन बी 12 में कोबाल्ट पाया जाता है। विटामिन B12 को कोबालमीन (Cobalamin) भी कहा जाता है। यह एकमात्र ऐसा विटामिन है, जिसमें कोबाल्ट धातु पाई जाती है। यह शरीर के स्वास्थ्य और संतुलित कार्य प्रणाली के लिए बेहद आवश्यक विटामिन है। ...Read More
Explanation : कवक लाइकेन एवं माइकोराइजा में जिनमें कवक क्रमशः नील-हरित शैवाल एवं उच्च पादपों जैसे-पाइनस की मूल के साथ भोजन एवं आश्रय हेतु सहजीवी सम्बन्ध बनाते हैं। पैरामीशियम प्रोटोजोआ एवं क्लोरेला शैवाल के माध्यम जिसमें क्लोरेला को पोषक तत्व, ...Read More
Explanation : अपशिष्ट उत्पादों को खाने वाले जीवों को अपरदाहारी कहा जाता है। अपरदाहारी ऐसे जीव हैं जो अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते हैं लेकिन इसे सड़ने वाले पदार्थों सड़ी-गली-पत्तियाँ, टूटी टहनी या तना, गोबर आदि या अपशिष्ट पदार्थों से प्राप्त करते ...Read More
Explanation : सीप या ऑयस्टर (Oyster) एक सा जलीय मोलस्क जंतु है, जिसमें निस्यन्द भोजी (फिल्टर फीडर) प्रकार की पोषण की विधि पाई जाती है। यह जंतु जल में, निलम्बित रूप से मौजूद भोजन के कण, यी लार्वा, पादपप्लवक आदि को पोषण (भोजन) के रूप में ग्रहण क ...Read More