Explanation : हमारे समाज में प्राचनी काल से ही लोग सिर पर शिखा (चोटी) रखते आए हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि 'स्नाने दाने जपे होमे संध्यायां देवतार्चने। शिखाग्रंथिम् विना कर्म न कुर्याद वै कदाचन।।' यानी स्नान, दान, जप, होम, संध्या, देवतार्चन कर्म में नित्य शिखा बांधनी चाहिए। क्योंकि बिना शिखा बंधन किए ये सारे काम निष्फल हो जाते हैं, इसलिए बिना शिखा बंधन किए ये सारे काम नहीं करने चाहिए।
हिंदू धर्म में चोटी रखने से फायदे
1. सिर में जिस स्थान पर चोटी रखी जाती है, अर्थात सिर के सभी बालों को काटकर बीचोंबीच के बाल छोड़ दिए जाते हैं। भौतिक विज्ञान के अनुसार यह मस्तिष्क का केंद्र है और यह शरीर के अंगों, बुद्धि और मन को नियंत्रित करने का स्थान भी है।
2. शिखा को कसकर बांधने की वजह से मस्तिष्क पर दबाव बनता है। इसके चलते रक्त का संचार भी सही तरीके से होता है। साथ ही आंखों की रोशनी भी सही रहती है और शरीर भी सक्रिय रहता है।
3. योग शास्त्र में इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियों की चर्चा होती है। इनमें सुषुम्ना ज्ञान और क्रियाशीलता की नाड़ी है। यह स्पाईनल कॉर्ड से होकर मस्तिष्क तक पहुंचती है। जिस स्थान पर ये नाड़ी मस्तिष्क से मिलती है, उसी स्थान पर चोटी बांधी जाती है।
4. चोटी दिमाग को स्थिर रखती है। इससे क्रोध नहीं आता है और सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है। मानसिक मजबूती के साथ एकाग्रता बढ़ती है। चोटी बांधने से मस्तिष्क की ऊर्जा की रक्षा होती है और आत्मशक्ति बढ़ती है।
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