Explanation : गुट निरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका इसके संस्थापक देशों में से हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन (The Non-Aligned Movement : NAM) की स्थापना सितंबर 1961 में बेलग्रेड (युगोस्लाविया) में हुई। भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, युगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो, मिस्र के राष्ट्रपति नासिर इसके मुख्य संस्थापक थे। यह तृतीय विश्व के राष्ट्रों का संगठन है। जो संयुक्त राष्ट्र के बाहर ये देशों का सबसे बड़ा गुट है। गुट निरपेक्ष देशों के सदस्य हर तीन साल बाद मिलते हैं। इसमें अफ़्रीका के 53 देश, एशिया के 38, लातिन अमरीका और कैरिबियाई द्वीप से 26 और यूरोप का एक देश (बेलारुस) शामिल है। इसमें 16 देश बतौर पर्यवेक्षक शामिल हैं और नौ पर्यवेक्षक संगठन है। इस आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य वैसे शक्तिशाली समूहों, जो एक-दूसरे के विरुद्ध गोलबंद हो चुके हैं, से अलग रहना तथा अमेरिका एवं रूस दोनों के ही साथ मैत्री तथा सहयोग बनाए रखना है। इसके सम्मेलन में सदस्य देशों के आपसी हितों तथा वर्तमान में विश्व के समक्ष उपस्थित समस्याओं पर विचार-विमर्श किया जाता है।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रथम बैठक में 25 राष्ट्रों ने हिस्सा लिया। वे हैं - अफगानिस्तान, अल्जीरिया, बर्मा, कंबोडिया, श्रीलंका, कांगो, क्यूबा, साइप्रस, इथियोपिया, घाना, गुयाना, भारत, इंडोनेशिया, इराक, लेबनान, माली, मोरक्को, नेपाल, सोमालिया, सूडान, ट्यूनीशिया, मिस्र, सीरिया, यमन तथा युगोस्लाविया। उपनिवेशी शक्ति से अलग होने के साथ-साथ इसके सदस्यों की संख्या 114 हो गई। फरवरी 2003 में पूर्वी तिमोर और सेंट विनसेंट ग्रेनेडाइंस के जुड़ने से इसकी सदस्य संख्या 116 पर पहुंच गई। अभी इसके सदस्यों की कुल संख्या 120 है। 27 इसके प्रेक्षक सदस्य (17 देश और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठन) हैं।
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