(A) पर्यावरणीय लाभों एवं लागतों को केंद्र एवं राज्य के बजट में सम्मिलित करते हुए तद्द्वारा ‘हरित लेखाकरण’ (Green Accounting) को अमल में लाना।
(B) कृषि उत्पाद के संवर्द्धन हेतु द्वितीय हरित क्रांति आरंभ करना, जिससे भविष्य में सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो।
(C) वन आच्छादन की पुनर्घाप्ति और संवर्द्धन करना तथा अनुकूलन (Adaptation) एवं न्यूनीकरण (Mitigation) के संयुक्त उपायों से जलवायु परिवर्तन का प्रत्युत्तर देना।
(D) इनमें से कोई नहीं