मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा पर्व ईद रमजान का महीना खत्म होने के बाद मनाई जाती है। मुसलमानों का ये त्योहार भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देने वाला त्यौहार व पर्व है। ईद को सभी आपस में मिल के मनाते हैं और खुदा से दुआएं करते हैं कि सुख-शांति और बरक्कत बनी रहे। ईद के पर्व पर लोग मस्जिद में नमाज अदा कर एक-दूसरे के गले मिल ईद की मुबारकबाद (Eid Mubarak) देते हैं। ईद पर लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को दावत देते है्ं। घर के बड़े और बुजुर्ग छोटों और बच्चों बच्चों को ईदी देते हैं। घरों में स्वादिष्ट सेवइयां बनाई जाती हैं। इस्लाम धर्म में दो तरह की ईद मनाई जाती है। पहली मीठी ईद रमजान महीने की आखिरी रात के बाद मनाई जाती है। दूसरी, रमज़ान महीने के 70 दिन बाद मनाई जाती है, इसे बकरीद भी कहते हैं। बकरा ईद (Bakra Eid) को कुर्बानी की ईद भी माना जाता है।
क्यों मनाई जाती है ईद
मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ। माना जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था, इसी दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रुप में मनाया जाता है। काज़ी डॉ सैय्यद उरूज अहमद ने बताया, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानी 624 ईस्वी में पहली बार (करीब 1400 साल पहले) ईद-उल-फितर मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बताया है कि उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान में पहले से ही 2 सबसे पवित्र दिन बताए हैं। जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है। इस प्रकार ईद मनाने की परंपरा अस्तित्व में आई।
मीठी ईद और बकरीद में अंतर
इस्लाम धर्म में दो ईद मनाई जाती है। पहली मीठी ईद जिसे रमज़ान महीने की आखिरी रात के बाद मनाया जाता है। दूसरी, रमज़ान महीने के 70 दिन बाद मनाई जाती है, इसे बकरीद कहते हैं। बकरा ईद (Bakra Eid) को कुर्रबानी की ईद माना जाता है। पहली मीठी ईद जिसे ईद उल-फितर कहा जाता है और दूसरी बकरी ईद को ईद उल-जुहा (Eid al-Adha) कहा जाता है।