संस्कृत जैसी प्राचीन समृद्ध तथा व्यवस्थित भाषा को सीखने के लिए व्याकरण का ज्ञान अनिवार्य है। सौभाग्य से संस्कृत भाषा का व्याकरणशास्त्र अत्यन्त वैज्ञानिक तथा परिपूर्ण है, परन्तु प्राचीन परम्परा के अनुसार निर्मित संस्कृत व्याकरण के अन्य स्कूलों तथा कालेजों के छात्रों के लिए अत्यन्त दुबौध हैं, और अर्वाचीन ढंग से लिखे हुए व्याकरणग्रन्थों से संस्कृतव्याकरण का इतना अच्छा बोध होने नहीं पाता। प्रस्तुत पुस्तक (‘सुगम संस्कृतव्याकरण’ ) में प्राचीन तथा अर्वाचीन दोनों प्रकार की प्रणालियों का समन्वय है। इसमें संस्कृत व्याकरण की सभी श्रावश्यक बातों का विवेचन यथासाध्य सरल तथा वैज्ञानिक ढंग से किया गया है।
यह पुस्तक स्कूलों तथा कालेजों के छात्रों की. श्रावश्यकताओं को ध्यान में रखकर लिखी गई है। उत्तरप्रदेशीय माध्यमिक शिक्षाबोर्ड द्वारा पूर्वमाध्यमिक (High School ) तथा उत्तरमाध्यमिक (Intermediate) परी. क्षाओं के लिए निर्धारित संकृत व्याकरण के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का इस पुस्तक में सन्निवेश है, उसके अतिरिक्त संस्कृत व्याकरण का शेष श्रावश्यक तथा उपयोगी विषय भी दिया गया है। उपयुक्त पाठ्यक्रम द्वारा निर्धारित सम्पूर्ण शब्दरूप तथा धातुरूप तो इस पुस्तक में दिये हो गये हैं, उनके अतिरिक्त कुछ अन्य आवश्यक शब्दों तथा धातुओं के रूपों का भी सनिवेश कर दिया गया है। इस प्रकार यह पुस्तक हाईस्कूल कक्षाओं से लेकर यूनिवर्सिटी की ऊंची श्रेणीयों तक के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।