लेखक तो हमेशा यही चाहता है कि उसकी सभी रचनाएं सुंदर हो, पर ऐसा होता नहीं। अधिकांश रचनाएं तो यत्न करने पर भी साधारण होकर रह जाती है। अच्छे-से-अच्छे लेखी को रचनाओं में भी थोड़ी-सी चीजें अच्छी निकलती है। फिर उनमें भी भिन्न-भिन्न रुचि की चीजें होती है और पाठक अपनी रुवि की चीजों को छांट लेता है और उन्हीं का आदर करता है। हरेक लेखक की हरेक चीज, हरेक आदमी को पसंद पाए, ऐसा बहुत कम को देखने में आता है।