संप्रति उपलबध चरक संहिता 8 स्थानों तथा 120 अध्यायों में विभक्त है। प्रस्तुत संहिता काय-चिकित्सा का सर्वमान्य ग्रंथ है। जैसे समस्त सस्कृत-वाक्मय का भाधार वैदिक साहित्य है, ठीक वैसे ही काय चिकित्सा के क्षेत्र में जितना भी परवर्ती साहित्य लिखा गया है, उन सब का उपजीव्य चरक है।