Explanation : ई प्रत्यय वाले शब्द – गगरी, खुशी, दुःखी, भेदी, दोस्ती, चोरी, सर्दी, गर्मी, पार्वती, नरमी, टोकरी, झंडी, ढोलकी, लंगोटी, भारी, गुलाबी, हरी, सुखी, बिक्री, मंडली, द्रोपदी, वैदेही, बोली, हँसी, रेती, खेती, बुहारी, धमकी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, राजस्थानी, जयपुरी, मद्रासी, पहाड़ी, देशी, सुन्दरी, ब्राह्मणी, गुणी, विद्यार्थी, क्रोधी, लालची, लोभी, पाखण्डी, विदुषी, विदेशी, अकेली, सखी, साखी, अलबेली, सरकारी, तन्दुरी, सिंदुरी, किशोरी, हेराफेरी, कामचोरी आदि। जिन कृदंत शब्दों के द्वारा क्रियाओं के भाव का पता चले, वे भाव—वाचक कृदंत कहलाते हैं। ये कृदंत शब्द धातुओं के अन्त में आ, आई, आन, आव, आस, ई, औनी, त, ती, न्ती, न, नी, र वट, हट आदि प्रत्ययों के जोड़ने से भाववाचक कृदंतीय संज्ञाएं बनती हैं। इसी प्रकार जिन कृदंत शब्दों से किसी के साधन का बोध होता है, उन्हें करणवाचक कृदंत कहते हैं। ये कृदंत शब्द धातुओं के अंत में आ, ई, ऊ, न, नी आदि प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं, जैसे – रेती, फांसी, खांसी, चिमटी। बता दे कि प्रत्यय दो शब्दों प्रति + अय से मिलकर बना है। जिसका अर्थ होता है ‘साथ में, पर बाद में और 'अय' का अर्थ होता है ‘चलने वाला'। प्रत्यय दो प्रकार के होते है–1. कृदंत और 2. तद्धित।
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