Explanation : द्वितीय पंचवर्षीय योजना तीव्र औद्योगिकीकरण पर आधारित थी। भारतीय सांख्यिकीय संगठन कोलकाता के निदेशक प्रो. पी.सी. महालनोबिस (P.C. Mahalnobis) के मॉडल पर आधारित द्वितीय पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 1956 से लागू की गई तथा 31 मार्च, 1961 को समाप्त हुई। इस योजना का मूलभूत उद्देश्य देश में औद्योगीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ करना था, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ आधार पर सर्वांगीण विकास किया जा सके। इसके अतिरिक्त 1956 में घोषित की गई औद्योगिक नीति में समाजवादी ढंग के समाज (Socialistic Pattern of Society) की स्थापना को स्वीकार किया गया।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना के निम्न लक्ष्य निर्धारित किए गए थे–
(1) देश के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए 5 वर्षों में राष्ट्रीय आय में 25% की वृद्धि करना।
(2) द्रुतगति से औद्योगीकरण करना जिसमें आधारभूत उद्योगों तथा भारी उद्योगों के विकास पर पर्याप्त बल दिया गया हो।
(3) रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
(4) आय व सम्पत्ति की असमानता को कम करना तथा आर्थिक शक्ति का अधिक समान वितरण करना।
(5) पूंजी निवेश की दर को 7% से बढ़ाकर 1960-61 तक 11% करना।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना में सरकारी क्षेत्र में वास्तविक व्यय लगभग रु. 4672 करोड़ हुआ।
द्वितीय योजना में 1993-94 की कीमतों पर राष्ट्रीय आय में 4.1% की वार्षिक वृद्धि हुई, किन्तु प्रतिव्यक्ति आय में 2.0% की वार्षिक वृद्धि हुई। इस योजनावधि में राष्ट्रीय आय में 25% वृद्धि के लक्ष्य की प्राप्ति न होने का आंशिक कारण योजना में परिकल्पित आशावादी पूंजी उत्पाद अनुपात (Capital-Output Ratio) था। महालनोबिस मॉडल में यह 2 : 1 कल्पित किया गया था, किन्तु वास्तव में यह 1980-81 की कीमतों पर 3.40 : 1 का अनुमानित किया गया। द्वितीय योजना के कुल परिव्यय की राशि रु. 4672 करोड़ में से रु. 1049 करोड़ की विदेशी सहायता प्राप्त हुई जो कुल परिव्यय का 24 प्रतिशत थी। द्वितीय योजनाकाल में देश में मूल्य स्तर में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पहली योजना में इसमें 13 प्रतिशत की कमी आई।
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