दूध की रानी सानेन बकरी को कहते हैं। इस बकरी का दूध पूरी दुनिया में जाना जाता है, क्यूंकि यह बहुत स्वादिष्ट होता है, कोई गंध भी नहीं होती है। इसका मीठा स्वाद होता है। बातदें कि बकरी एक पालतू पशु है, जिसे दूध तथा मांस के लिये पाला जाता है। इसके अतिरिक्त इससे रेशा, चर्म, खाद एवं बाल प्राप्त होता है। विश्व में बकरियाँ पालतू व जंगली रूप में पाई जाती हैं और अनुमान है कि विश्वभर की पालतू बकरियाँ दक्षिणपश्चिमी एशिया व पूर्वी यूरोप की जंगली बकरी की एक वंशज उपजाति है। आज दुनिया में इसकी लगभग 300 नस्लें पाई जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार सन् 2011 में दुनिया-भर में 92.4 करोड़ से अधिक बकरियाँ थीं।....अगला सवाल पढ़े
Explanation : भारत में विश्व की लगभग 57 प्रतिशत भैंस पाई जाती हैं। यह विश्व में भैंसों की कुल संख्या से आधे से अधिक है। भैस एक शांत स्वभाव वाला तथा कम मेहनत से दूध देने वाला पशु है। भैंसों के दूध में वसा प्रतिशत अधिक होता है। इसलिए भारत में पश ...Read More
Explanation : मेहसाणा मुर्रा और सूरती नस्लों के बीच की नस्ल है। इस नस्ल के पशुओं का मूल स्थान गुजरात राज्य का मेहसाणा जिला है, जो मेहसाना (Mehsana) भी कहलाता है। उसके निकटवर्ती स्थानों; जैसे–सिद्धपुर, सटन एवं राधनपुर आदि जिलों में ये पशु काफी ...Read More
Explanation : नागपुरी भैंस 5.5 से 8 किग्रा तक दूध देती है। जबकि इस नस्ल के नर पशु भारी कार्यों तथा बोझा ढोने के काम में लाए जाते हैं। नागपुरी भैंस की नस्ल के पशु महाराष्ट्र राज्य के नागपुर, वर्धा और बराड़ जिलों तथा आंध्र प्रदेश के हैदराबाद जिल ...Read More
Explanation : नीली रावी नस्ल की भैंस 8 किग्रा दूध प्रतिदिन दे सकती है। तथा 250 दिन के एक ब्यांत में लगभग 2,000 किग्रा दूध दे देती है। इस नस्ल के पशु पंजाब राज्य में रावी नदी के निकटवर्ती क्षेत्रों में पाए जाते है। इन पशुओं का शरीर भारी तथा मां ...Read More
Explanation : भैंस की जाफराबादी (Jafarabadi) नस्ल को छोटा हाथी कहा जाता है। ये चारा अधिक खाती है और दूध भी अधिक देती है। इस जाति का मूल स्थान दक्षिणी काठियावाड़ तथा जाफराबाद का निकटवर्ती स्थान है। जाफराबादी नस्ल के पशु भारी बदन के होते हैं और ...Read More
Explanation : हैंड बुक ऑफ एग्रीकल्चर (Handbook of Agriculture) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का प्रकाशन है। यह Indian Agricultural Research Institute-ICAR के सबसे लोकप्रिय प्रकाशनों में से एक है। इसमें भारतीय कृषि में विज्ञान के नेतृत्व वाले विका ...Read More
वच को 'स्वीट फ्लैग' के नाम से भी जाना जाता है। यह ढेर सारे औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें बहुत से पौष्टिक तत्व भी होते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में वच का सेवन किया जाता है। कई तरह की मानसिक बीमारियों, सिर दर्द और मिर्गी जैसे असाध्य रोगों क ...Read More
कूठ का पौधा अनेक औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद के अनुसार, सेहत से जुड़ी अनेक समस्याओं में इसका उपयोग किया जाता है। इसकी जड से लेकर पत्तियां तक बेहद लाभकारी होती हैं। कठ, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीबैक्टीरियल विशेषताओं से युक्त है, जो किसी संक्रम ...Read More
Explanation : भारत में रेशम का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला राज्य कर्नाटक है। कर्नाटक में हर साल औसतन लगभग 8,200 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन होता है। इसके बाद जम्मू तथा कश्मीर, पश्चिमी बंगाल, असम तथा पंजाब राज्य प्रमुख रेशम उत्पादक राज्य हैं। भा ...Read More
Explanation : जापान के टोकियो, नागोया, कोबे, क्योटो तथा ओसाका नगर रेशम उत्पादन केंद्र है। यहां कोयो (Cocoon) से रेशम का धागा निकाला जाता है। फुकुई तथा ईशिकावा नगर भी रेशमी वस्त्र उत्पादन के प्रमुख केन्द्र हैं। जापान स्टेपुल धागे के उत्पादन में ...Read More