धोबी बस के क्या करे, दिगम्बरों के गांव का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) समय के बीतने के साथ है, जिम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं
(B) दोषी को अपना दोष बताये जाने पर क्रोध होता है
(C) अवसर के अनुकूल बन जाना चाहिए
(D) जहां व्यवसाय न चल सके, वहां रहकर करना मूर्खता है/संबंध विहीन होना

Answer : जहां व्यवसाय न चल सके, वहां रहकर करना मूर्खता है/संबंध विहीन होना

Explanation : धोबी बस के क्या करे, दिगम्बरों के गांव का अर्थ dhobi bas ke kya kare digambaro ke gaon है 'जहां व्यवसाय न चल सके, वहां रहकर करना मूर्खता है/संबंध विहीन होना।' हिंदी लोकोक्ति धोबी बस के क्या करे, दिगम्बरों के गांव का वाक्य में प्रयोग होगा – सेठ अमीरचंद का साभ्रान्त लोगों की बस्ती में देशी शराब की दुकान खुलवाना धोबी बस के क्या करे, दिगम्बरों के गांव वाली कहावत चरितार्थ करता है।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'धोबी बस के क्या करे, दिगम्बरों के गांव' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Dhobi Bas Ke Kya Kare Digambaro Ke Gaon