Explanation : धर्मनिरपेक्षता का मतलब सभी धर्मों को समान सम्मान देना है। सामाजिक विचारकों ने धर्मनिरपेक्षीकरण शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया है, जहाँ धार्मिक संस्थान तथा धार्मिक विचारधाराओं तथा समझ का नियंत्रण सांसारिक मामलों और आर्थिक, राजनीति, विधि-न्याय, स्वास्थ्य, परिवार, इत्यादि पर से समाप्त हो गया। इसके स्थान पर सामान्य रूप से संसार के बारे में अनुभव सिद्ध व तर्कसंगत क्रियाविधियों तथा सिद्धांतों का पनपना आरंभ हुआ।
धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए ब्रायन आर. विलसन लिखते हैं-धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत विभिन्न सामाजिक संस्थाएं धीरे-धीरे एक-दूसरे से अलग हो जाती हैं, तथा वे उन धार्मिक अवधारणाओं की पकड़ से बहुत हद तक मुक्त हो जाती हैं, जिन्होंने इनके संचालन को प्रेरित तथा नियंत्रित किया था। इस बदलाव से पूर्व, अधिकतर मानवीय क्रियाओं व संगठन के विशाल क्षेत्र से संबंधित सामाजिक प्रक्रिया को पहले से तय धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर संचालित किया जाता रहा है। इसमें जीविका व अन्य कार्य, सामाजिक व व्यक्ति गत पारस्परिक संबंध न्याय कार्य-प्रणाली, सामाजिक व्यवस्था, चिकित्सा पद्धति आदि शामिल हैं। यह विशिष्ट तंत्रगत विभाजन की प्रक्रिया है, जिसमें सामाजिक संस्थाओं (अर्थ, राजनीति, अचार, विधि न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवार) को ऐसे भिन्न प्रतिष्ठानों के रूप में मान्यता मिली, जिन्हें संचालन की खासी स्वतंत्रता प्राप्त हो। यह ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत पारलौकिक सिद्धांतों का मानवीय मामलों पर से नियंत्रण हट जाता है। ऐसे स्वरूप को मोटे तौर पर धर्मनिरपेक्षता के रूप में पहचाना जाता है। पारलौकिक सिद्धांत धीरे-धीरे सभी सामाजिक संस्थाओं से हट कर केवल पारलौकिक के प्रति समर्पित संस्थाओं या पूरे समाज को अपनी परिधि में लेने वाली धार्मिक संस्थाओं तक ही सीमित रह जाते हैं।
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