देव दीपावली कार्त्तिक पूर्णिमा को दीपावली के 15 दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन वाराणसी में मां गंगा के घाटों पर लाखों दीपक शाम को जलाए जाते हैं। मान्यता है, इस दिवाली को मनाने व देखने के लिए देवी-देवता भी पृथ्वी पर उतर आते हैं। आध्यात्मिक अर्थ में, दीपावली और देव दीपावली में कोई खास अंतर नहीं है। मुख्य दिवाली से पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है, जो भगवान व भगवती की नरकासुर पर विजय का प्रतीक है। देव दिवाली भी महेश्वर की त्रिपुरासुर पर विजय की स्मृति का पर्व है। अध्यात्म की दृष्टि से इसे अच्छाई को अपना कर बुराइयों को मिटाना कहते हैं। अंतर्मन में इसे ज्ञान का प्रकाश जगाना व अज्ञान का अंधकार दूर करना कहते हैं। यह देने की प्रवृत्ति और दैवी गुणों को धारण करने का पर्व है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। शिव पुत्र कार्त्तिकेय ने अपने पिता की सहायता से तीनों लोकों में आतंक मचाने वाले तारकासुर का अंत किया था। उसका प्रतिशोध लेने के लिए, तारकासुर के तीन पुत्रों ने घोर तपस्या कर सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा को प्रसन्न किया और ब्रह्माजी से अमर होने का वरदान मांगा। लेकिन ब्रह्माजी ने मना कर दिया और उनसे कहा कि इसके बदले कोई ऐसी शर्त रख लें, जो बहुत ज्यादा कठिन हो और उसके पूरा होने पर ही उनकी मृत्यु हो। फिर तीनों ने कहा- आप हमारे लिए तीन पुरियों का निर्माण कर दें। वे तीनों पुरियां जब अभिजित् नक्षत्र में एक पंक्ति में खड़ी हों और कोई अत्यंत शांत अवस्था में असंभव रथ व असंभव बाण से मारे, तब हमारी मृत्यु हो। ब्रह्माजी ने उन्हें यह वरदान दे दिया व असुरों के शिल्पी माया द्वारा तीन पुरों का निर्माण करा दिया।
कहते हैं, सभी देवताओं ने अपना-अपना सहयोग भगवान शिव को दिया। शिव ने अपने पाशुपत अस्त्र से तीनों पुरों के अभिजित् नक्षत्र में एक साथ आने पर उनका विध्वंस कर दिया। तभी भूलोक और सूक्ष्म देवलोक में सुख-शांति और हर्षोल्लास का वातावरण छा गया। ईश्वर द्वारा सृष्टि से आसुरी शक्तियों के विनाश और दैवी शक्तियों के विकास का यह उत्सव देव दिवाली कहलाया।....अगला सवाल पढ़े
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जिन व्यक्तियों का जन्म किसी भी महीने की 8, 17 या 26 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक बनता है 8, जिसके स्वामी ग्रह हैं शनि। आने वाले वर्ष में अपने लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित करें और फिर उन्हें प्राप्त करने के लिए सभी पहलुओं पर विचार करते हुए अपनी प्रबंधन क् ...Read More
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जिस व्यक्ति के जन्म की तारीख किसी भी महीने की 6, 15 या 24 तारीख है, उनका मूलांक 6 बनता है। अंक छह के स्वामी ग्रह शुक्र हैं, जो वैभव, सौंदर्य, मिलनसारिता, संगीत कला नाट्य में रुचि प्रदान करते हैं। ये रुचियां इस साल आगे बढ़ेंगी। अपनी बुद्धिमता का प्रयो ...Read More
जिनका जन्म मई महीने की 5, 14 या 23 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक 5 बनता है। इसके स्वामी ग्रह बुध हैं। इस मूलांक वाले दृढ़ता और बुद्धिमत्ता के साथ अपने सभी कार्यों को करने में सफल रहते हैं। अपनी रचनात्मक क्षमता के कारण इन्हें इस साल लाभ होने वाला है। इ ...Read More
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