Explanation : दिल्ली सल्तनत के काल में 'फतवा-ए-जहांदारी' पुस्तक इब्नबतूता ने लिखी। 'फतवा-ए-जहांदारी' (Fatawa-ye-jahandari) में महमूद गजनवरी के विचारों के रूप में बरनी ने अपने विचार स्पष्ट किए हैं। फतवा-ए-जहांदारी अपने आप में एक ऐतिहासिक कृति नहीं हैं। यह विभिन्न विषयों पर बरनी के विचारों की अभिव्यक्ति है। फतवा-ए-जहांदारी की केवल एक प्रति मिली है, जो यह सिद्ध करती है कि यह पुस्तक बहुत लोकप्रिय नहीं थी। इसमें सल्तनतकालीन राजव्यवस्था पर कोई प्रकाश नहीं डाला गया है, बल्कि राजव्यवस्था पर बरनी ने अपने विचार दिए हैं।
इब्नबतूता का जन्म 24 जनवरी, 1304 ई. को तंजियार में हुआ था। उसका पूरा नाम शेख फकह अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद इब्नबतूता था। उसका मूल निवास स्थान मोरक्को था, लेकिन अरब देश में आकार बस गया था। उसने विभिन्न देशों की यात्राएं कीं और मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में 1333 ई. में भारत आया। उसने कुल चौदह वर्ष भारत में व्यतीत किए जिनमें से आठ वर्ष उसने दिल्ली में व्यतीत किए। मोहम्मद तुगलक ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया। आठ वर्ष तक उसने काजी के पद को सुशोभित किया, लेकिन बाद में उसे पदच्युत कर दिया गया। 1345 ई. में वह मदुरई के सुल्तान के दरबार में गया और 1353 ई. में मोरक्को लौट गया, जहां उसने रेहला या सफरनामा नामक पुस्तक में अपने यात्रा संस्मरणों का संकलन प्रकाशित किया। ....अगला सवाल पढ़े
Explanation : आइन-ए-अकबरी (Ain-i-Akbari) पांच भागों में विभक्त है, जिसमें आखिरी भाग 'अकबरनामा' हैं। इसकी रचना अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फ़ज़ल द्वारा की गई थी। वास्तव में 'आइन-ए-अकबरी' उन नियमों का संग्रह है, जिनका निर्माण अकबर द्वारा अपने ...Read More
Explanation : कालिदास चंद्रगुप्त II के शासनकाल में थे। चंद्रगुप्त द्वितीय अथवा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासनकाल 380-412 ईसवी तक रहा। चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपना साम्राज्य विस्तार वैवाहिक सम्बन्ध व विजय दोनों से किया जिसमें नाग राजकुमारी कुबेर ...Read More
Explanation : मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना था। 18वीं शताब्द की प्रमुख फसलों में धान, गेहूं, ज्वार-बाजरा इत्यादि थे। धान हिंदुस्तान के अधिकांश क्षेत्रों में उगाया जाता था जिसमें गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गो ...Read More
Explanation : मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना (Bayana) था। बयाना आधुनिक राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। प्राचीन काल मे इसे बाणपुर कहा जाता था, जिसका संबंध बाणाुसर तथा उसकी पुत्री उमा से बताया जाता है। बयाना ...Read More
Explanation : तरनतारन नामक नगर की स्थापना सिख गुरु गुरु अर्जुन देव ने की थी। वे सिक्खों के 5वें गुरु थे। उन्होंने सिक्ख धर्म के प्रचार के लिए जगह-जगह संगतों की स्थापना करवाई। इन्होंने अमृतसर में तरनतारन एवं करतारपुर नगरों की स्थापना की। इन्हों ...Read More
Explanation : गुरु ग्रंथ साहिब में सूफी संत शेख फरीद की रचनाएं संकलित है। पंजाब के सूफी संतों में भक्त शेख फरीद जी का नाम प्रमुखता से आता है। भक्त शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी, शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी शकरगंज इत्यादि नामों से पहचाने जाने वाले शे ...Read More
Explanation : सिखों के पांचवें गुरू अर्जुन देव द्वारा संकलित पवित्र ‘आदिग्रंथ’ में बाबा फरीद नाम से मशहूर सूफी संत फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर (Fariduddin Ganjshakar) के विचारों को संकलित किया गया है। रैदास, कबीर, नानक आदि संतों की भी वाणी ‘गुरू ग्रं ...Read More
यूक्लिड की रेखागणित (द एलिमेंट्स The elements) का अनुवाद संस्कृत में पंडित जगन्नाथ सम्राट (1652–1744) ने किया था। ये आमेर के शासक महाराजा जयसिंह द्वितीय के दरबार में सम्मानित वैज्ञानिक थे। ये भारत के संस्कृत, पालि, प्राकृत, गणित, खगोलशास्त्र, रेखागणि ...Read More
Explanation : महाराणा प्रताप के दरबारी पंडित का नाम चंद्रमौलि मिश्र था। जो प्रताप के दरबार में मुख्य पंडित थे। वे चित्तौड़ के पास मिश्रों की पीपली के चौबे डूंगर मिश्र के पुत्र थे। महाराणा प्रताप ने इसी पंडित लेखक से राज्याभिषेक पद्धति, व्यवहार ...Read More
Explanation : गौतम बुद्ध की मृत्यु उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुशीनगर में हुई थी। इस स्थान को कुशीनारा और कुशावती नाम से भी जानते हैं। यहां कुशीनारा के मल्लों का राज्य था। गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई. पू में 80 ...Read More
Web Title : Delhi Sultanate Ke Kaal Me Fatwa E Jahandari Pustak Kisne Likhi